पटना उच्च न्यायालय ने गंगा नदी में मिले शवों के मामले में राज्य के मुख्य सचिव और पटना के प्रमंडलीय आयुक्त के हलफनामे को विरोधाभासी बताते हुए उन्हें इस संबंध में 20 मई तक पूरा ब्यौरा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य के मुख्य सचिव और पटना के प्रमंडलीय आयुक्त के हलफनामा में कई विरोधाभास हैं। शपथ पत्र में कहा गया है कि बक्सर में गंगा में 81 तैरती लाश मिली हैं। वहीं, प्रमंडलीय आयुक्त का कहना है कि 5 मई से 14 मई के बीच 789 लाशें गंगा में मिली है।
न्यायाधीशों ने कहा कि शपथ पत्र में यह भी स्पष्ट नहीं है कि जिन लोगों का अंतिम संस्कार किया गया हुए कोविड-19 से पीड़ित थे या नहीं । मृतक किस आयु वर्ग के थे यह भी स्पष्ट नहीं है । इन सभी तथ्यों पर स्पष्टीकरण जरूरी है । अदालत ने निर्देश दिया कि हलफनामे के सभी तथ्यों को सत्यापित करें अन्यथा इस हलफनामे को असत्य माना जाएगा। अदालत ने जन्म एवं मृत्यु से संबंधित सभी जिलों के आधिकारिक वेबसाइट को अद्यतन करने का भी निर्देश दिया ।
उधर केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जेनेरल डॉ के एन सिंह ने अदालत को बताया कि बिहार 400 मेट्रिक टन तरल ऑक्सीजन के आवंटन का हकदार है और केंद्र सरकार ने इसका आवंटन बढ़ाने की अनुमति दे दी है । अदालत ने इस पर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को शपथ पत्र दायर कर बताने को कहा है कि 400 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन का 100 फ़ीसदी उठाओ कैसे होगा । राज्य सरकार के पास इसके लिए आवश्यक आधारभूत संरचना है या नहीं । इस मामले पर 18 मई को भी सुनवाई होगी।