बिहार के रचित राज राज्य के पहले ट्रांसजेंडर कांस्टेबल बने हैं जिसके बाद उन्हें देश के पहले ट्रांसमैन सिपाही की उपाधी दी गई है। रचना से रचित बन चुके कांस्टेबल फिलहाल कैमूर एसपी की गोपनीय शाखा में तैनात हैं। रचित 23 वर्षीय 2018 के सिपाही हैं।
हिन्दुस्तान की खबर के मुताबिक उन्होंने बताया कि साल 2016 से उन्हें अहसास होने लगा कि वह लड़कों की तरह महसूस करते हैं। सजना-संवरना और सलवार-सूट पहनना उन्हें पसंद नहीं था। धीरे-धीरे उन्हें समझ आया कि उन्हें लड़के नहीं बल्कि लड़कियां पसंद आने लगी।
उन्होंने बताया कि जहां पर वह काम कर रहे हैं उन्हें सभी मान-सम्मान देते हैं। उनकी पहचान के साथ लोगों ने उन्हें स्वीकार करना शुरू कर दिया है, लेकिन उनके लिए रचना से रचित बनने का सफर बेहद कठिन रहा है। वे जब बाजार जाते हैं तो लोग उनकी हंसी उड़ाते हैं। शुरुआत में तो लोगों से उनकी लड़ाई ही हो जाती थी। जिससे वह बेहद दुखी हो जाते थे।
वह चाहकर भी अपने दिल की बात किसी से नहीं कह पाते थे, लेकिन अब लोगों की बातों को उन्होंने नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि ट्रांसमैन बनने के लिए उन्होंने एफिडेविट दे दिया है। वह बताते हैं कि उन्होंने लड़की के शरीर में जन्म लिया है, लेकिन अब लड़का बनकर आगे की जिंदगी बिताना चाहते हैं।
वे बताते हैं कि एक ट्रांसजेंडर के तौर पर राज्य में पहचान बनाने के लिए बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कोई ऐसा निर्धारित केंद्र नहीं है, जहां जाकर वह अपनी पहचान को प्रमाणपत्र हासिल कर सकें। ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के मुताबिक कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान को सामने ला सकता है, लेकिन निर्धारित केंद्र नहीं होने से अलग-अलग जगहों पर पुराने प्रमाणपत्रों को शैक्षणिक प्रमाणपत्र बनाकर नौकरी के कागजात में परिवर्तित करने के लिए दिक्कतें आ रही हैं।