बिहार के मुजफ्फरपुर में 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ डकैती और अन्य अपराधिक मामलों की धाराओं के आधार पर केस दर्ज किया गया है। इस लिस्ट में करजा थाने के तत्कालीन थानेदार बीके यादव का नाम भी शामिल है। हालाकि बीके यादव को शराब कारोबारियों से सेटिंग कर शराब का धंधा करने के आरोप में जेल भेजा गया है। इस पूरे मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 2 जून को 18 पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। जिसे वापस लेने की मांग करते हुए करजा थाना के थाना अध्यक्ष मणि भूषण कुमार ने जिला व सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी। जिसे सुनवाई के बाद कोर्ट ने थानेदार की अर्जी को खारिज कर दिया है।
हिन्दुस्तान की खबर के मुताबिक बीके यादव सहित 18 पुलिसकर्मियों पर डकैती की धाराओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना तय माना जा रहा है। इस मामले में करजा थाना के रसूलपुर आधार निवासी हरिद्वार ठाकुर ने 26 फरवरी को इसीजेएम कोर्ट में शिकायत दायर कराई थी, जिसमें उन्होंने बीके यादव और अन्य पुलिस अधिकारियों व जवानों पर अपने घर में घुसकर 52 लाख नगद समेत 200 ग्राम सोना लूटने का आरोप लगाया था। पूर्व सैनिक हरिद्वार प्रसाद ठाकुर ने अपनी शिकायत में बताया था कि उन्होंने दरवाजा तोड़कर घर में घुसने की कोशिश की थी। इसकी भनक लगने पर उनकी बहू डकैत समझकर रुपये लेकर भागने लगी। बीके यादव के कहने पर अन्य पुलिस जवानों ने बहू से रुपये वाला बॉक्स छीन लिया। जिसमें जमीन बिक्री ने 52 लाख रुपये रखे हुए थे।
शिकायत के अधिवक्ता कमलेश कुमार ने बताया है कि एफआईआर पर रोक लगाने के लिए पुलिस ने जो अर्जी दायर की थी उसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है। जिसके बाद करजा थाने में सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज होगी। इस पूरे मामले के मुख्य आरोपी थानेदार वीके यादव फिलहार जेल में कैद है। स्प्रिट माफिया से सेटिंकर कर शराब कारोबार में उनकी संलिप्तता के आरोप में उन पर एफआईआर दर्ज कर जेल भेज दिया गया था।
दर्ज शिकायत में बीके यादव के अलावा एंटी लिकर टीम के सदस्य दरोगा रवि प्रकाश, कुमार अभिषेक, करजा थाने के जवान राहुल रंजन, गौरत कुमार, मंटू कुमार, जितेंद्र कुमार, सुनील कुमार सिंह व 10 अज्ञात पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाया गया है।