पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने मंगलवार को भारत के साथ शांति की बात कहते हुए अपने हाल के उग्र बयान को वापस ले लिया। कुछ दिन पहले उन्होंने भारत द्वारा सिंधु जल संधि के निलंबन के जवाब में "पानी बहेगा या खून बहेगा" जैसी रक्तपात की धमकी दी थी। यह बयान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा संधि को निलंबित करने के फैसले के जवाब में आया था।
बिलावल ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में अपने संबोधन में कहा, "पाकिस्तान स्वतंत्रता के लिए लड़ता है, न कि संघर्ष के लिए। यदि भारत शांति का रास्ता चुनना चाहता है, तो उसे खुले हाथों और सच्चाई के साथ आना होगा, न कि मुट्ठी बांधकर।" उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान आतंकवाद का शिकार है और वह आतंकवाद का निर्यात नहीं करता। बिलावल ने कहा, "अगर भारत सबूतों के साथ बातचीत करे, तो हम पड़ोसियों की तरह सच का सामना कर सकते हैं। लेकिन अगर वे ऐसा नहीं करते, तो पाकिस्तान का संकल्प अडिग रहेगा।"
बिलावल का यह नरम रुख उनकी पिछली टिप्पणी के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली आलोचना और भारत के कड़े रुख के बाद आया है। 25 अप्रैल को सक्खर में एक रैली में बिलावल ने कहा था, "सिंधु हमारा है, या तो इसमें हमारा पानी बहेगा या उनका खून।" इस बयान की भारत में कड़ी निंदा हुई थी, जहां केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और शशि थरूर जैसे नेताओं ने इसे "उकसावे वाला" और "बचकाना" करार दिया था।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के साथ-साथ कई कूटनीतिक कदम उठाए, जिनमें अटारी चेकपोस्ट बंद करना और पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या कम करना शामिल था। पाकिस्तान ने जवाब में शिमला समझौते को निलंबित करने और भारतीय उड़ानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद कर दी थी। बिलावल के इस नए बयान को पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और वैश्विक दबाव के संतुलन के रूप में देखा जा रहा है।