कनाडा की शीर्ष खुफिया एजेंसी, कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS), ने अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में पहली बार आधिकारिक रूप से स्वीकार किया है कि कनाडा में रहने वाले खालिस्तानी चरमपंथी (CBKEs) भारत में हिंसा को बढ़ावा देने, धन जुटाने और योजनाएँ बनाने के लिए कनाडा की जमीन का उपयोग कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1980 के दशक से, कनाडा में राजनीतिक रूप से प्रेरित हिंसक चरमपंथ (PMVE) मुख्य रूप से खालिस्तानी चरमपंथियों के माध्यम से प्रकट हुआ है, जो भारत के पंजाब में एक स्वतंत्र खालिस्तान राष्ट्र की स्थापना के लिए हिंसक साधनों का समर्थन करते हैं।
भारत ने लंबे समय से कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों की गतिविधियों पर चिंता जताई थी, लेकिन कनाडा ने अब तक इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया था। CSIS की यह स्वीकारोक्ति भारत के दावों को मान्यता देती है कि कनाडा भारत विरोधी तत्वों के लिए एक सुरक्षित आश्रय बन गया है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि 2024 में कनाडा की जमीन पर कोई खालिस्तानी हमला दर्ज नहीं हुआ, लेकिन इन समूहों की भारत में हिंसक गतिविधियों में संलिप्तता कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। यह खुलासा उस समय आया है जब भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध सुधारने की कोशिशें चल रही हैं, विशेष रूप से 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद तनाव बढ़ने के बाद।