प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी द्वारा 15 से 17 जून 2025 तक अल्बर्टा प्रांत के कानानास्किस में आयोजित होने वाले 51वें G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने का न्योता दिया गया है। यह निमंत्रण भारत-कनाडा के बीच हालिया तनावपूर्ण रिश्तों के बीच संबंध सुधार की दिशा में एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।
2023 में कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि इसमें भारतीय एजेंट शामिल हो सकते हैं। भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया था। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था और रिश्ते लगभग ठप पड़ गए थे।
मार्च 2025 में मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में बदलाव देखने को मिला है। G7 सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित करना इसी दिशा में एक बड़ा कूटनीतिक कदम है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस निमंत्रण के लिए आभार जताया और उम्मीद जताई कि भारत-कनाडा रिश्ते आपसी सम्मान और साझा हितों के आधार पर आगे बढ़ेंगे।
G7 में भारत का शामिल होना इस बात का संकेत है कि वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका और प्रतिष्ठा लगातार बढ़ रही है। भारत G7 का सदस्य नहीं है, लेकिन उसे एक महत्वपूर्ण अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया गया है। सम्मेलन में दुनिया की सबसे प्रमुख लोकतांत्रिक और आर्थिक ताकतें जलवायु परिवर्तन, वैश्विक सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता जैसे विषयों पर चर्चा करेंगी।
इस निमंत्रण को खालिस्तानी समूहों के बढ़ते प्रभाव पर लगाम लगाने की दिशा में भी देखा जा रहा है। यह भारत के साथ फिर से जुड़ने की कनाडा की मंशा को दर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी की इस सम्मेलन में भागीदारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की आवाज़ को और अधिक मजबूती देगी।