राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े जनजाति सुरक्षा मंच ने सोमवार को मांग की कि एसटी समुदाय के सदस्यों को दूसरे धर्म अपनाने के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाए।
भोपाल स्थित संगठन ने दावा किया कि उसने देश के 170 आदिवासी बहुल जिलों में अपनी मांग के समर्थन में रैलियां कीं और पार्टी लाइनों के 550 सांसदों से इसके लिए समर्थन मांगा।
संगठन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी शरद चव्हाण ने दावा किया, "अनुसूचित जनजाति के लोग जो धर्म परिवर्तन का विकल्प चुनते हैं, उन्हें आरक्षण या अन्य लाभ नहीं मिलना चाहिए, जिसके लिए आदिवासी हकदार हैं। उनके ऐसे सभी लाभों को रद्द कर दिया जाना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा कि एसटी समुदाय अनादि काल से देश के विभिन्न हिस्सों में छोटे और बड़े समूहों में रह रहे हैं और दावा किया कि वे "सनातन परंपरा" का निष्ठापूर्वक पालन कर रहे हैं।
चव्हाण ने कहा, "एक बार जब वे इस्लाम और ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाते हैं, तो वे प्रकृति पर आधारित अपनी विशिष्ट जीवन शैली, संस्कृतियों और त्योहारों को छोड़ देते हैं। इसलिए वे अपनी पहचान छोड़ देते हैं, इसलिए उन्हें अल्पसंख्यक के रूप में गिना जा सकता है, लेकिन आदिवासी नहीं।"
उन्होंने कहा कि आदिवासियों के बीच धर्मांतरण का यह मुद्दा अविभाजित बिहार के पूर्व सांसद दिवंगत कांग्रेस नेता कार्तिक उरांव ने उठाया था। चव्हाण ने कहा कि उन्होंने इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार को 350 से अधिक सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित एक ज्ञापन भी सौंपा।