विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को अफगानिस्तान में आतंकी घटना पर कहा कि अभी हम कुछ नहीं बोल सकते हैं। हमें अभी नहीं पता यह हमला कैसे हुआ है। इस्लामिक स्टेट ने हमले कि ज़िम्मेदारी ली है। अभी हम देख रहे हैं कि वहां पर क्या परिस्थिति बन रही है। अफगानिस्तान में तालिबान के राज को मान्यता देने के सवाल पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि ऐसा सवाल करना जल्दबाजी है। फिलहाल अफगानिस्तान में किसी ने सरकार ही नहीं बनाई है। अफगानिस्तान में जमीनी स्थितियां बहुत अनिश्चित हैं। चिंता का मुख्य विषय लोगों की सुरक्षा है। वर्तमान में काबुल में किसी संगठन की ओर से सरकार का गठन किए जाने को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि हमने काबुल या दुशांबे से 6 अलग-अलग उड़ानों के जरिए 550 से अधिक लोगों को निकाला है जिसमें 260 से अधिक भारतीय थे। भारत सरकार ने अन्य एजेंसियों के द्वारा भी भारतीय नागरिकों को अफ़ग़ानिस्तान से निकाला है, जिसमें 260 से अधिक भारतीय थे। इसके अलावा एंबेसी के लोगों को भी लाया गया, साथ ही कुछ अफगान नागरिक भी शामिल हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम भारतीयों को निकालने के लिए कई देशों के साथ संपर्क में हैं। उनकी मदद से ये पूरा अभियान चलाया जा रहा है.।
अफगानिस्तान से अपने लोगों को लाने की डेडलाइन पर भारत ने कहा कि, फिलहाल वहां हालात काफी बदल चुके हैं। हम अलग-अलग पार्टी के साथ संपर्क में हैं। फिलहाल इसकी डेडलाइन तय नहीं की गई है। हमारा पहला फोकस भारतीय लोगों को निकालने का है। हम कुछ अफगान नागरिकों को भी निकालने में भी मदद करेंगे, जो लोग निकाले जा रहे हैं, उनमें ज्यादातर हिंदू और सिख हैं लेकिन हम अफगानिस्तान के लोगों के साथ पूरी तरह खड़े हैं। भारत आने वाले अफगान नागरिकों को लेकर बागची ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ऐसे लोगों के लिए ई-आपातकालीन वीजा की घोषणा की है। इस वीजा की अवधि छह महीने की है। इसलिए फिलहाल ऐसे अफगानी नागरिक छह महीने की वीजा अवधि के साथ भारत आ रहे हैं।
बता दें कि भारत ने गुरुवार को काबुल हवाई अड्डे के पास हुए घातक बम धमाकों की कड़ी निंदा करते हुए कहा था कि इन धमाकों ने एक बार फिर उस जरुरत को सामने ला दिया कि आतंक के विरुद्ध दुनिया को एक साथ आने की जरूरत है।