देश भर में हाहाकार मचाने वाली कोरोना महामारी से जंग लड़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन किया जा रहा है। इस बीच फर्जी वैक्सीन की भी कई खबरे सामने आई है। हालही में दक्षिणपूर्वी एशिया और अफ्रीका में नकली कोविशील्ड पाई गई थी, जिसके बाद डब्ल्यूएचओ ने नकली वैक्सीन को लेकर सचेत किया था। इस मामले को देखते हुए अब केंद्र सरकार ने राज्यों को ऐसे कई मानक के बारे में जानकारी दी है जिससे नकली वैक्सीन को पहचानने में मदद मिल पाएगी।
इस मामले में केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को शनिवार को पत्र लिखा है। एनडीटीवी की खबर के अनुसार इस चिट्ठी में राज्यों कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक-वी वैक्सीन से जुड़ी हर जानकारी बताई है। जिससे यह पता लगाया जा सके कि वैक्सीन असली है या नकली।
कोविशील्ड
-एसआईआई का प्रोडक्ट लेबल, लेबल का कलर गहरे हरे रंग में होगा।
-ब्रांड का नाम ट्रेड मार्क के साथ (कोवीशील्ड)।
-जेनेरिक नाम का टेक्स्ट फॉन्ट बोल्ड अक्षरों में नहीं होगा।
-इसके ऊपर सीजीएस नॉट फॉर सेल ओवरप्रिंट होगा।
कोवैक्सीन
-लेबल पर इनविजिबल यानी अदृश्य यूवी हेलिक्स, जिसे केवल यूवी लाइट से ही देखा जा सकता है।
-लेबल क्लेम डॉट्स के बीच छोटे अक्षरों में छिपा टेक्स्ट, जिसमें (कोवैक्सीन) लिखा है।
-कोवैक्सीन में 'एक्स' का दो रंगों में होना, जिसे ग्रीन फॉयल इफेक्ट कहा जाता है।
स्पूतनिक-वी
-स्पूतनिक-वी कोरोना वैक्सीन रूस की दो अलग प्लांटों से आयात की गई है, जिसके कारण इन दोनों के लेबल भी थोड़ें अलग-अलग हैं। हालांकि सभी जानकारी और डिजाइन एक सा ही है। बस मैन्युफेक्चरर का नाम अलग है।
-अभी तक जितनी भी वैक्सीन आयात की गई हैं, उनमें से केवल 5 एमपूल के पैकेट पर ही इंग्लिश में लेबल लिखा है। इसके अलावा बाकी पैकेटों में यह रूसी में लिखा है।