भारत-बांग्लादेश सीमा पर त्रिपुरा के सेपाहीजाला जिले में एक "मेड इन चाइना" ड्रोन मिलने से सुरक्षा एजेंसाओं में हड़कंप मच गया है। यह ड्रोन ग्रामीणों को संदिग्ध रूप से उड़ता हुआ दिखा, जिसके बाद उसे जब्त कर फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया। शुरुआती जांच में संभावना जताई जा रही है कि ड्रोन का इस्तेमाल सीमा पार निगरानी, तस्करी या संभावित जासूसी के लिए किया गया हो सकता है। सुरक्षा एजेंसियां इसकी उड़ान पथ, जीपीएस डेटा और किसी भी रिकॉर्ड की गई जानकारी को खंगाल रही हैं।
ड्रोन पर चीनी कंपनी का लेबल लगा होना संदेह को और गहरा करता है, खासकर ऐसे समय में जब भारत पहले से ही चीनी तकनीक के माध्यम से निगरानी को लेकर सतर्क है। पंजाब और जम्मू-कश्मीर में पहले भी ड्रोन के ज़रिए हथियार, नकली मुद्रा और ड्रग्स की तस्करी के मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन उत्तर-पूर्वी राज्यों में ऐसा मामला नया है।
त्रिपुरा की 856 किलोमीटर लंबी सीमा बांग्लादेश से सटी हुई है, जिसमें से कई हिस्से बेहद संवेदनशील और असुरक्षित माने जाते हैं। BSF पहले से ही इलाके में निगरानी के लिए प्रयासरत है, लेकिन ड्रोन जैसी नई चुनौतियों से निपटना कठिन हो रहा है।
हालांकि इस ड्रोन से कोई हथियार या संदिग्ध वस्तु नहीं मिली है, लेकिन एजेंसियां इसे एक संभावित परीक्षण मान रही हैं, जिससे भविष्य में बड़ी घटना को अंजाम देने की साजिश हो सकती है। इस घटना के बाद सरकार ने सीमा सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा शुरू कर दी है और ड्रोन रोधी तकनीक को सक्रिय करने पर विचार किया जा रहा है।