जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देशभर में 7 मई को व्यापक नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश जारी किया है। इस अभ्यास का उद्देश्य युद्ध या आपात स्थिति, जैसे हवाई हमले, आतंकी हमले या प्राकृतिक आपदा, में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और प्रशासन की तैयारियों का मूल्यांकन करना है। देश के 244 चिन्हित जिलों में होने वाली यह मॉक ड्रिल 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पहला इतना बड़ा नागरिक सुरक्षा अभ्यास है।
गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार, मॉक ड्रिल में हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन का परीक्षण, ब्लैकआउट प्रोटोकॉल, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों का छलावरण, और निकासी योजनाओं का रिहर्सल शामिल होगा। सायरन 120-140 डेसिबल की तीव्रता के साथ 2-5 किलोमीटर तक सुनाई देंगे, जो प्रशासनिक कार्यालयों, पुलिस मुख्यालयों, और भीड़भाड़ वाली जगहों पर लगाए जाएंगे। नागरिकों, विशेषकर छात्रों, को प्रशिक्षण दिया जाएगा कि आपात स्थिति में सुरक्षित स्थानों जैसे बंकरों या मजबूत इमारतों में शरण कैसे लेनी है।
उत्तर प्रदेश में 19 स्थानों, दिल्ली के कनॉट प्लेस, और सीमावर्ती राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, और गुजरात में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है, जिसमें बुलंदशहर (नरोरा) ए-श्रेणी में है। दिल्ली में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है, और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के साथ समन्वय किया जा रहा है।
गृह मंत्रालय ने स्थानीय प्रशासन, सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स, होम गार्ड, एनसीसी, एनएसएस, और स्कूल-कॉलेजों के छात्रों से सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा की है। नागरिकों से अपील की गई है कि वे सायरन सुनकर घबराएं नहीं, बल्कि प्रशासन के निर्देशों का पालन करें, अफवाहों से बचें, और सरकारी अपडेट्स पर नजर रखें। यह मॉक ड्रिल न केवल सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करेगी, बल्कि नागरिकों में जागरूकता और सामुदायिक एकजुटता को भी बढ़ाएगी।