कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच तनाव एक बार फिर सार्वजनिक मंच पर सामने आया। 19 जुलाई 2025 को मंगलुरु में साधना समावेश कार्यक्रम में सिद्धारमैया उस समय नाराज हो गए, जब एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने उन्हें अपने भाषण में डीके शिवकुमार का नाम लेने की सलाह दी। सिद्धारमैया ने गुस्से में कहा, "डीके शिवकुमार तो बेंगलुरु में हैं, मंच पर नहीं। हम केवल मौजूद लोगों का स्वागत करते हैं। घर बैठे लोगों का स्वागत नहीं करते।" हैरानी की बात यह है कि डीके शिवकुमार उस समय कार्यक्रम में मौजूद थे और अपना भाषण देने के बाद आपात स्थिति का हवाला देकर बेंगलुरु चले गए थे।
यह घटना कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही तनातनी की पृष्ठभूमि में हुई। बीजेपी दावा कर रही है कि डीके शिवकुमार सिद्धारमैया की जगह ले सकते हैं। हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व ने सिद्धारमैया को हटाने की किसी भी योजना से इनकार किया है। सिद्धारमैया ने भी अपने पद से हटने की अफवाहों को खारिज किया और कहा कि वे पांच साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे। डीके शिवकुमार ने सार्वजनिक रूप से उनका समर्थन किया, लेकिन उनकी मायूसी कई बार सामने आई है। उन्होंने कहा, "मेरे पास और कोई विकल्प नहीं है। मुझे पार्टी और सिद्धारमैया का समर्थन करना होगा।"
यह तनाव 2023 के विधानसभा चुनावों से शुरू हुआ, जब कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की थी। डीके शिवकुमार, जिन्हें इस जीत का बड़ा श्रेय दिया जाता है, मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदार थे। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने सिद्धारमैया को चुना और शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष बनाया। कुछ खबरों में दावा किया गया कि दोनों नेताओं के बीच ढाई साल बाद रोटेशनल मुख्यमंत्री की व्यवस्था पर सहमति बनी थी, लेकिन इसे कभी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई।
कांग्रेस विधायक इकबाल हुसैन जैसे कुछ नेताओं ने शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है, जिससे पार्टी में अंदरूनी कलह उजागर हुई। सिद्धारमैया ने बीजेपी के दावों को "झूठ" करार देते हुए कहा कि उनकी सरकार "चट्टान की तरह" पांच साल तक चलेगी।