जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा के बयान ने सियासी हलचल तेज कर दी है। वाड्रा ने इस हमले को देश में बढ़ती 'हिंदुत्व की राजनीति' से जोड़ा। वाड्रा ने कहा कि इस हमले के पीछे धार्मिक पहचान के आधार पर लोगों को निशाना बनाना यह दर्शाता है कि देश में हिंदू-मुस्लिम और ईसाई समुदायों के बीच एक खाई पैदा हो गई है।
वाड्रा ने कहा, "अगर आप इस आतंकी हमले का विश्लेषण करें, तो अगर आतंकी लोगों की पहचान देखकर हमला कर रहे हैं, तो वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि देश में हिंदू-मुस्लिम और ईसाई समुदायों के बीच एक विभाजन पैदा हो गया है। पहचान देखकर किसी को मार देना प्रधानमंत्री के लिए एक संदेश है, क्योंकि मुसलमान खुद को कमजोर महसूस कर रहे हैं। अल्पसंख्यक समुदाय खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है।"
उन्होंने आगे कहा, हमारे देश में साम्प्रदायिक तनाव क्यों फैल रहा है? इससे समाज में फूट पड़ेगी और कुछ संगठनों को यह महसूस होने लगेगा कि हिंदू समुदाय मुसलमानों के खिलाफ है। हमें ऐसी नफरत की मानसिकता नहीं चाहिए। सच तो यह है कि जब हिंदू और मुसलमान साथ आते हैं, तो एक-दूसरे की मदद करते हैं। कोविड महामारी के समय हमने देखा कि दोनों समुदायों ने एक-दूसरे का सहयोग किया। आम जनता इन राजनीतिक चालों को नहीं समझती, जिनके ज़रिए माहौल बिगाड़ कर चुनावी फायदे लिए जाते हैं।
बीजेपी का तीखा हमला
वाड्रा के इस बयान पर भाजपा ने तीखा हमला बोला और उन्हें आतंकवादियों का बचाव करने का आरोप लगाया। भाजपा नेता अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा, " यह हैरान करने वाली बात है कि सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने न केवल एक आतंकवादी हमले का समर्थन किया, बल्कि आतंकियों को दोषी ठहराने के बजाय भारत को जिम्मेदार ठहराया, जबकि यह हमला पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा किया गया था।"
भाजपा प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने भी वाड्रा पर निशाना साधा और कहा कि यह बयान गांधी परिवार के इशारे पर दिया गया है। उन्होंने कहा, “यह कांग्रेस पार्टी का अब तक का सबसे शर्मनाक और अपमानजनक बयान है। रॉबर्ट वाड्रा ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के निर्देश पर पाकिस्तानी आतंकवादियों को निर्दोष साबित करने की कोशिश की। उन्होंने इस्लामिक जिहाद को सही ठहराने की कोशिश की और आतंकवाद को न्यायसंगत साबित करने का प्रयास किया”
इस बीच रॉबर्ट वाड्रा ने दावा किया कि उन्हें जमीन घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इसलिए तलब किया क्योंकि उन्होंने अल्पसंख्यकों के पक्ष में आवाज उठाई थी। उन्होंने कहा, “दो हफ्ते पहले मुझे ईडी ने समन भेजा था। मैंने अल्पसंख्यकों के समर्थन में बात की थी। मैंने कहा था कि जब आप मुसलमानों को सड़कों पर या घरों की छतों पर नमाज पढ़ने से रोकते हैं, या मस्जिदों के नीचे मंदिरों का सर्वे करते हैं, या औरंगजेब और बाबर का नाम लेते हैं, तो इससे समस्याएं पैदा होती हैं।”