फार्मास्यूटिकल कंपनी एस्ट्रोजेनेका ने जबसे यूके के अदालत में यह स्कीकार किया है कि कोविड वैक्सीन की वजह से कुछ लोगों में ब्लड क्लॉटिंग की शिकायत आ सकती है, तबसे हंगामा मच गया है। गुरुवार को डॉक्टरों के एक समूह ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कोविशिल्ड बनाने वाली भारतीय कंपनी सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की।
प्रेस कांफ्रेंस में अवेकेन इंडिया मूवमेंट नाम के एक संस्थान के डॉक्टरों ने सरकार से मांग की कि वो सभी कोविड वैक्सीन के पीछे की विज्ञान की समीक्षा करें साथ ही उनके व्यावसायीकरण का ऑडिट के जरिए जांच भी कराएं जाने की मांग की है। इसके अलावा डॉक्टरों ने वैक्सीन के कारण होने वाली घटनाओं की निगरानी करने की भी बात कही है, ताकि सक्रिय मामलों की यथाशीघ्र पहचान की जा सके।
रेडियोलॉजिस्ट और अक्टिविस्ट डॉ. तरुण कोठारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “सरकार ने कोरोना वैक्सीनेशन के बाद होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। सरकार ने बगैर किसी वैज्ञानिक जांच के कोविड वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावी बनाकर प्रचारित भी किया है। थ्रोमबोसिस विथ थ्रोम्बोसाइटोपेनिया नामक साइड इफेक्ट के बार में अब दुनिया को पता चल रहा है।”
वहीं गाइनेकोलॉजिस्ट और ऑनकोलॉजिस्ट डॉ. सुजाता मित्तल ने कहा, “जब कोविड-19 के टीके लगाए जा रहे थे तब बहुत से लोगों को पता ही नहीं था कि वह तीसरे फेज के ट्रायल के बिना ही इस्तेमाल हो रहे हैं। कोरोना वैक्सीन को लगाने से पहले प्रशासन को इससे होने वाली अल्पकालिक या दिर्घकालिक दुष्प्रभावों की जानकारी नहीं थी। खासकर के भारत में, वैक्सीन से होने वाली क्षतियों की जानकारी लोगों के मध्य बिल्कुल नहीं थी।”
डॉ. कोठारी ने आगे जोड़ा, “मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए कवर किए गए कोविड वैक्सीन से होने वाली मौतों का डाटा अवेकन इंडिया मूवमेंट जुटा रही है जिसे बाद में देश के विभिन्न उच्च अधिकारियों के साथ साझा किया जाएगा। वैक्सीनेशन से होने वाली मौतों की जांच को लेकर सरकार से कई बार अनुरोध किया जा चुका है, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।”
कॉन्फेंस में डॉक्टरों ने फास्ट ट्रैक कोर्ट और वैक्सीन कोर्ट के गठन की भी मांग की जिसकी मदद से वैक्सीन के कारण परेशान हुए लोगों और परिवारों को जल्दी न्याय मिल सके। आपको बता दें कि यूके बेस्ड कंपनी एस्ट्रोजेनेका ने कोविड-19 वैक्सीन की वैश्विक वापसी शुरू कर दी है। भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर इसको बनाया जा रहा था जिसे कोविशिल्ड के नाम जाना जाता है।