उन्होंने कहा कि गऊ रक्षा के विभिन्न पहलुओं पर जोर देने के लिए 7 नवंबर को जंतर-मंतर से एक अभियान शुरू किया जायेगा। राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन एवं अन्य गोरक्षा संगठनों के तत्वावधान में शुरू होने वाले इस आंदोलन के तहत सरकार के समक्ष विभिन्न बिन्दुओं पर एक निर्देश पत्र तैयार किया गया है। इसके तहत यह मांग की गई है कि देश में सम्पूर्ण गोहत्या बंदी का केंद्रीय कानून बने, भारतीय गोवंश पर छाए संकट को दूर करने के लिए गोमांस के निर्यात को प्रतिबंधित किया जाए, गोचर भूमि को सरकारी एवं गैर सरकारी अतिक्रमण से मुक्त किया जाए।
गोविंदाचार्य ने संवाददाताओं से कहा, गोवंश के हितों को ध्यान में रखते हुए गोरक्षा, गोपालन और गौ संवर्धन के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार में गौ मंत्रालय की स्थापना की जाए।
उन्होंने कहा, गंगा और गाय साम्प्रदायिक मुद्दा नहीं बल्कि सभ्यता और देश की पहचान से जुड़ा विषय है। यह अर्थव्यवस्था, पर्यावरण समेत व्यापक संदर्भ वाला विषय है। ऐसे में गंगा और गाय की सुरक्षा वक्त की जरूरत है। गोविंदाचार्य ने कहा कि आजादी के बाद से देश में प्रति मनुष्य मवेशियों के अनुपात में गंभीर गिरावट दर्ज की गई है। आजादी के समय एक मनुष्य पर एक मवेशी था जबकि आज 7 मनुष्य पर एक मवेशी का अनुपात रह गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे में केंद्र स्तर पर गोवध प्रतिरोधक कानून लाया जाना चाहिए, साथ ही वनभूमि का अतिक्रमण रोका जाना चाहिए। गोविंदाचार्य ने कहा कि आज के संकटमय समय में पारिस्थितिकी अनुकूल विकास महत्वपूर्ण है। जल, जंगल, जमीन, जानवर का संपोषण ही विकास का नाम हो सकता है। जीडीपी की वृद्धि दर के असमान वितरण को हम विकास से नहीं जोड़ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब देश के आधे बच्चे कुपोषण के शिकार हैं तब विकास को पोषक आहार की समान उपलब्धता से जोड़ा जाना चाहिए। इस संदर्भ में गोवंश का संपोषण अत्यंत जरूरी है। गऊ रक्षा क्रांति के तहत 8 नवंबर को गोपाष्टमी का आयोजन किया जा रहा है जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य इंद्रेश कुमार, गोविंदाचार्य, राष्ट्रीय सेविका समिति के अधिकारी एवं साधु संत यमुना में दीप प्रज्ज्वलित करने के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। संघ के पदाधिकारी इंद्रेश कुमार के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बारे में पूछे जाने पर गोविंदाचार्य ने कहा कि उनका हमेशा मानना है कि व्यक्ति से बड़ा दल और दल से बड़ा देश होता है। हम मुद्दों एवं मूल्यों पर कृत संकल्पित हैं। हमारा किसी से टकराव नहीं है। सबकी बुनियादी मांग एक है और वह गोवंश की सुरक्षा है।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि वोट की चिंता से परे हटकर हमारी मांग मानी जाए। क्योंकि अब तक सरकारों की गलत नीतियों के कारण भारतीय नस्ल का गोवंश खतरे में पड़ गया था। हमें इस बात को समझना होगा कि भारतीय सभ्यता में विकास मनुष्य केंद्रित नहीं बल्कि प्रकृति केंद्रित है।
भाषा