हिमाचल प्रदेश के शिमला, कुल्लू और मंडी जिलों में 31 जुलाई की मध्य रात्रि को बादल फटने से अचानक आई बाढ़ में अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 30 से अधिक लापता लोगों की तलाश के लिए अभियान जारी है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी. वहीं कुल्लू के निरमंड, सैंज और मलाणा, मंडी के पधर और शिमला के रामपुर में अचानक बाढ़ आने की खबर है. सबसे अधिक प्रभावित रामपुर उपमंडल के सरपारा पंचायत के अंतर्गत आने वाला समेज गांव है. यहां लगभग 25 लोग लापता हैं.
अधिकारियों ने बताया कि मंडी के राजभान गांव से नौ शव बरामद किए गए हैं, कुल्लू जिले के निरमंड और बागीपुल से तीन शव तथा शिमला जिले के समेज और धड़कोल, ब्रो और सुन्नी बांध के आसपास के इलाकों से 10 शव बरामद किए गए हैं.
पुलिस ने बताया कि कुल 22 शवों में से छह शव बुधवार को बरामद किए गए. इनमें चार शव शिमला में और दो कुल्लू में बरामद हुए. अब तक 12 शवों की पहचान हो चुकी है और बाकी शवों की पहचान के लिए डीएनए सैंपल लिए जा रहे हैं.
अधिकारियों के अनुसार लगभग 85 किलोमीटर क्षेत्र में तलाशी अभियान चल रहा है. राज्य के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बुधवार को कहा कि और शव मिलने की संभावना कम है क्योंकि बह गए क्षेत्र में पहले ही तलाशी अभियान चलाया जा चुका है.
वहीं लापता हुए लगभग 30 लोगों के परिवार के सदस्यों की उम्मीदें टूटने लगी हैं, क्योंकि लगातार बारिश के बीच तलाशी और बचाव अभियान को बुधवार को सात दिन हो गए. समेज गांव में चल रहे अभियान के बारे में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के सहायक कमांडिंग अधिकारी करम सिंह ने कहा, “बारिश हो रही है, लेकिन संयुक्त खोज और बचाव अभियान जारी है.”
सिंह ने कहा, “सतलुज नदी में जलस्तर बढ़ रहा है और कई स्थानों पर भूस्खलन भी हो रहा है. सड़कों को साफ करने के लिए जेसीबी और अन्य मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. हमारे सैनिक कुशल हैं और रस्सियों के जरिए नदी पार कर उन जगहों पर तलाश कर रहे हैं जहां लापता लोगों के मिलने की संभावना है."
समेज शिमला जिले के रामपुर उपमंडल में सरपारा पंचायत के अंतर्गत आता है और कुल्लू जिले की सीमा से लगा हुआ है. लापता लोगों के परिजन पिछले सात दिनों से घटनास्थल पर डेरा डाले हुए हैं. जैसे-जैसे दिन बीतता जा रहा है उनकी उम्मीद कम होती जा रही है. अब वे अंतिम संस्कार करने के लिए शवों की बरामदगी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं.
मोती राम नाम के एक व्यक्ति ने कहा, “मेरा भाई, दो महिला रिश्तेदार, पुत्रवधू, भतीजे और भतीजी सहित पूरा परिवार लापता है.” मोतीराम की एक पुत्रवधू और पोता इस दुर्घटना के समय घर से बाहर थे इसलिए वे बच गए.
इस बीच स्थानीय मौसम कार्यालय ने बुधवार और शनिवार को राज्य के अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश, आंधी और बिजली गिरने का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. मौसम विभाग ने यह भी कहा कि अगले पांच से छह दिनों में मानसून की गतिविधियां तेज होने की संभावना है और बड़े पैमाने पर बारिश हो सकती है.
हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में 31 जुलाई की मध्यरात्रि को अचानक आई बाढ़ और बादल फटने से अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है तथा कुल्लू के निरमंड, सैंज और मलाणा, मंडी के पधर और शिमला के रामपुर उपमंडल में 35 से अधिक लोग अब भी लापता हैं.
वहीं हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से कहा कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बीच महत्वपूर्ण संपर्क वाले यमुना पुल की तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है, क्योंकि इसमें दरारें दिखाई दे रही हैं.
यहां जारी एक बयान में कहा गया कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री सिंह ने देहरादून में पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात करके इसपर चर्चा की. सिंह ने धामी को बताया कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बीच महत्वपूर्ण संपर्क प्रदान करने वाले यमुना पुल के तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है, क्योंकि वाहनों की आवाजाही के दौरान वहां भारी कंपन होता है.