दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 में यहां हुए दंगों के पीछे बड़ी साजिश होने से जुड़े एक प्रकरण में छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा की याचिका पर बुधवार को पुलिस से जवाब देने को कहा।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने इस मामले में फातिमा की ज़मानत याचिका खारिज करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर पुलिस को नोटिस जारी किया।
पीठ ने मामले को 14 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और कहा, "हमें आपके (फातिमा) पर लगाए गए आरोपों के ऊपर गौर करना होगा।"
फातिमा की ओर से पेश वकील ने यह कहते हुए जमानत मांगी कि वह पिछले दो साल से अधिक समय से हिरासत में है।फातिमा ने निचली अदालत के 16 मार्च के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। उनके अलावा निचली अदालत ने एक अन्य सह आरोपी तसलीम अहमद की जमानत अर्जी भी खारिज कर दी थी।
फातिमा के अलावा निचली अदालत ने एक अन्य सह आरोपी तसलीम अहमद की जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी। फातिमा और अहमद तथा कई अन्य लोगों के खिलाफ आतंकवाद रोधी कानून-गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
उन पर उत्तर पूर्वी दिल्ली के इलाकों में फरवरी 2020 में भड़के दंगों का मुख्य षडयंत्रकारी होने का आरोप है। इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से ज्यादा लोग जख्मी हो गये थे।