मुंबई। आईपीएल में हुई गड़बड़ियों और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने ललित मोदी पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय ने मोदी के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन के बयान दर्ज किए हैं।
ईडी के अधिकारियों ने बताया कि श्रीनिवासन आज उनके समक्ष पेश हुए थे और करीब तीन घंटे तक उनके बयान दर्ज किए गए हैं। ललित मोदी के खिलाफ ईडी में दर्ज यह मामला आईपीएल के प्रसारण अधिकार के लिए वर्ष 2008 में वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप (डब्ल्यूएसजी) और मल्टी स्क्रीन मीडिया (एमएसएम) के बीच हुई 425 करोड़ रुपये की डील से संबंधित है। वर्ष 2010 में बीसीसीआई ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी जबकि दो साल बाद प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग निरोध कानून के तहत इस मामले में केस दर्ज किया था। ईडी के अधिकारियों को कहना है कि चूंकि बीसीसीआई की ओर से श्रीनिवासन ने ही पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई थी इसलिए उन्होंने उनके बयान दर्ज किए हैं।
क्या है मामला
वर्ष 2008 में बीसीसीआई ने वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप को 91.8 करोड़ डॉलर में 10 साल के लिए मीडिया अधिकार दिए थे। उसी साल, वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप ने सोनी को अधिकृत प्रसार बनाने के लिए मल्टी स्क्रीन मीडिया नाम की कंपनी के साथ एक समझौता किया। एक साल बाद यह समझौता एक नौ वर्षीय डील में तब्दील हो गया जिसके लिए मल्टी स्क्रीन मीडिया ने 1.63 अरब डॉलर का भुगतान किया।
प्रवर्तन निदेशाल ने वर्ष 2009 में फेमा के तहत एमएसएम सिंगापुर द्वारा डब्ल्यूएसजी मॉरीशस को गैर-कानूनी तरीके से 425 करोड़ रुपये के भुगतान के आरोपों की जांच करनी शुरू की थी। ईडी का कहना है कि यह भुगतान क्रिकेट की नियामक संस्थाओं के बजाय अनाधिकृत लाभार्थियों को हुआ।