बंबई हाई कोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार वरवर राव, अरुण फरेरा और वर्नोन गोंजाल्विस की याचिका बुधवार को खारिज कर दी।
हाई कोर्ट ने कहा कि उसके लिए यह कहना मुश्किल है कि उसके पहले के फैसले में कोई तथ्यात्मक त्रुटि थी और इसकी समीक्षा की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जमादार की खंडपीठ ने कहा, "पुर्नविचार क्षेत्राधिकार के प्रयोग के लिए कोई मामला नहीं बनाया गया है। जिस बिंदु पर आग्रह नहीं किया गया है, उसके पुर्नविचार की अनुमति नहीं है।"
बता दें कि तीनों आरोपियों ने न्यायमूर्ति शिंदे की अगुवाई वाली पीठ द्वारा पारित 1 दिसंबर, 2021 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें मामले में सह-अभियुक्त वकील सुधा भारद्वाज को डिफ़ॉल्ट जमानत दी गई थी, लेकिन तीन याचिकाकर्ताओं सहित आठ अन्य आरोपियों को डिफ़ॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया था।
उस समय, हाई कोर्ट ने कहा था कि भारद्वाज के अलावा अन्य आरोपियों ने कानून द्वारा निर्धारित समय के भीतर निचली अदालत के समक्ष डिफ़ॉल्ट जमानत के लिए अपनी याचिका दायर नहीं की थी।
हालांकि इसके बाद सभी आठ आरोपियों ने दावा किया कि भारद्वाज की तरह ही उन्होंने भी मुकदमे में निर्धारित अवधि के भीतर डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका दायर की थी।