श्रीलंका में हालात सुधारते नजर नहीं आ रहे हैं। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के भाग जाने के बाद बुधवार को वहां आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई। बता दें कि राष्ट्रपति राजपक्षे देश की अर्थव्यवस्था को गलत तरीके से संभालने के लिए अपनी सरकार के खिलाफ होते सार्वजनिक विद्रोह को देखते एक सैन्य जेट पर मालदीव भाग गए।
प्रधान मंत्री कार्यालय ने मीडिया संगठनों को सूचित किया कि देश में आपातकाल की स्थिति और पश्चिमी प्रांत में कर्फ्यू लगा दिया गया है। इस बीच, प्रदर्शनकारियों ने प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे के कार्यालय तक मार्च किया, जिसमें समाचार आने के बाद कि राष्ट्रपति राजपक्षे मालदीव के लिए रवाना हो गए थे, उनसे इस्तीफा देने का आग्रह किया।
वहीं, आंसू गैस के गोले के बावजूद उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय पर धावा बोल दिया और उनके इस्तीफे की मांग की। प्रधान मंत्री विक्रमसिंघे पहले ही कह चुके हैं कि वह इस्तीफा देने और सर्वदलीय सरकार बनाने के लिए रास्ता बनाने के लिए तैयार हैं।शनिवार को, राजपक्षे ने बुधवार को पद छोड़ने की घोषणा की थी, जब हजारों प्रदर्शनकारियों ने उनके आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया था।
श्रीलंका के राजनीतिक दलों ने सर्वदलीय सरकार बनाने के प्रयासों को तेज कर दिया है और बाद में दिवालिया राष्ट्र को अराजकता में आगे बढ़ने से रोकने के लिए 20 जुलाई को एक नए राष्ट्रपति का चुनाव किया। श्रीलंका के संविधान के तहत, यदि राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री दोनों इस्तीफा देते हैं, तो संसद का अध्यक्ष अधिकतम 30 दिनों के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा।