तीन कृषि कानूनों के भारी विरोध के बाद आखिरकार मोदी सरकार को झुकना ही पड़ा। केंद्र सरकार ने इसे निरस्त करने का फैसला किया है। इसकी घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने यह ऐलान किया है। साथ ही किसानों से आंदोलन समाप्त करने की अपील भी की है।
आजतक की खबर के मुताबिक, राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसान तीनों कानून वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। किसानों ने साफ कर दिया था कि उन्हें इन कानूनों की वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं। केंद्र सरकार ने किसानों की चिंता पर संशोधन की बात कही। दो साल तक कानून सस्पेंड करने का भी आश्वासन दिया लेकिन किसान अपना आंदोलन खत्म करने को राजी नहीं हुए। पीएम मोदी ने इसका भी जिक्र अपने संबोधन में किया।
खबर के मुताबिक, बता दें कि यह कोई पहला अवसर नहीं है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को अपने कदम वापस लेने पड़े। इससे पहले भी पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को एक अध्यादेश वापस लेना पड़ा था। केंद्र सरकार को जब भूमि अधिग्रहण अध्यादेश वापस लेना पड़ा था, तब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की शपथ लिए हुए कुछ ही समय हुआ था।
जानें क्या था भूमि अधिग्रहण अध्यादेश
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता में आने के कुछ ही महीने बाद केंद्र सरकार ने नया भूमि अधिग्रहण अध्यादेश बनाया। इसके जरिए भूमि अधिग्रहण को सरल बनाने के लिए किसानों की सहमति का प्रावधान खत्म कर दिया गया था। जमीन अधिग्रहण के लिए 80 फीसदी किसानों की सहमति जरूरी थी। नए कानून में किसानों की सहमति का प्रावधान समाप्त कर दिया था।
किसानों ने इसका विरोध किया। सियासी दलों ने भी भारी विरोध किया जिसके कारण सरकार ने इसे लेकर चार बार अध्यादेश जारी किए लेकिन वो इससे संबंधित बिल संसद में पास नहीं करा पाई। अंत में केंद्र सरकार को अपने कदम वापस खींचने पड़े और पीएम मोदी के सरकार ने 31 अगस्त 2015 को ये कानून वापस लेने का ऐलान कर दिया।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    