गैंगस्टर अबू सलेम ने बंबई उच्च न्यायालय का रुख कर एक विशेष अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें नवी मुंबई की तलोजा जेल से नासिक केंद्रीय कारागार स्थानांतरित करने की योजना के खिलाफ उसकी अर्जी पिछले महीने खारिज कर दी गई थी। सलेम ने अपनी जान को खतरा होने का दावा करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। उसने दावा किया कि तलोजा जेल से दूसरी जेल में भेजने का फैसला उसे जान से मारने की ‘‘साजिश’’ है, क्योंकि उसे कुछ महीनों में रिहा किये जाने की संभावना है।
सलेम की याचिका बुधवार को न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आने पर, पीठ ने कोई कारण बताये बिना इसकी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। याचिका अब दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की जाएगी।
तलोजा जेल को अपने लिए बहुत सुरक्षित बताते हुए सलेम ने आशंका जताई थी कि दूसरी जेलों में प्रतिद्वंद्वी गिरोहों के सदस्य उस पर हमला कर सकते हैं। सलेम ने कहा कि इस समय उसे दूसरी जेल में भेजना ‘‘अवांछित और दुर्भावनापूर्ण मकसद वाला है।’’
उसने कहा कि वह अभी दिल्ली में दो मामलों का सामना कर रहा है और उसे राष्ट्रीय राजधानी की यात्रा करते रहना होगा। याचिका में कहा गया है कि दूसरी जेल में स्थानांतरित किये जाने से दिल्ली की उसकी यात्रा प्रभावित होगी, जिससे उसके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई में देर हो सकती है।
जेल अधिकारियों ने विशेष अदालत में दलील दी थी कि सलेम को नासिक केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित किया जाना चाहिए, क्योंकि तलोजा जेल के अंदर उच्च सुरक्षा वाली कोठरी खस्ताहाल है और उसकी तत्काल मरम्मत की जरूरत है।
सलेम को 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में जून 2017 में दोषी करार दिया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।