2002 के गुजरात दंगे मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गई क्लीनचिट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 19 नवंबर को सुनवाई करेगा। इस मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए.एम खानविलकर और दीपक गुप्ता की पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि उस एसआईटी क्लोजर रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन करना होगा जिसने मोदी को क्लीन चिट दे दी थी। इसलिए अब इस मामले की सुनवाई सोमवार को होगी।
एसआईटी ने 8 फरवरी 2012 मोदी को यह कहते हुए क्लीनचिट दे दी थी कि मामला चलाने के लिए उनके खिलाफ सबूत नहीं हैं। 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने भी एसआईटी के इस क्लीनचिट का समर्थन करते हुए जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने 2002 में हुए दंगों के संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीनचिट को बरकरार रखने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
हाई कोर्ट ने कहा था चाहें तो जा सकते हैं सुप्रीम कोर्ट
जकिया जाफरी ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि कि गुजरात दंगों के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 59 लोगों को दिए गए क्लीनचिट को बरकरार रखे और उनके खिलाफ आरोप तय कि जाए। तब हाई कोर्ट ने कहा कि दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी और इसमें किसी बड़ी साजिश के आरोप को कोर्ट ने रद्द कर दिया। गुजरात हाईकोर्ट ने जाकिया से कहा है कि वो चाहें तो सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती हैं।
उस दौरान गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी तब तक पीएम बन चुके थे। जाकिया जाफरी ने हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
साबरमती ट्रेन की आग के बाद भड़के थे दंगे
2002 में गुजरात में तीन दिन तक चले सांप्रदायिक दंगों के दौरान लगभग 2000 लोगों की मौत हो गई थी। ये दंगे गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाए जाने के बाद भड़के थे। यह ट्रेन कारसेवकों से भरी थी। आग में 59 लोगों की मौत हो गई थी।
दंगे रोकने में समुचित कदम नहीं उठाने का है आरोप
साबरमती एक्सप्रेस की आग में कारसेवकों की मौत के बाद राज्य के कई जगहों पर हिंदू और मुस्लिमों में टकराव हुए थे। दंगों की कई घटनाओं में एक घटना में गुलबर्ग सोसाइटी कांड था। इस सोसाइटी को घेर कर दंगाइयों ने 68 लोगों को मार डाला था। जाकिया जाफरी के पति और कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी इसी सोसाइटी में रहते थे। गुजरात सरकार दंगों को काबू करने में नाकाम रही थी। तीसरे दिन दंगों को काबू करने के लिए सेना उतारनी पड़ी थी। नरेंद्र मोदी पर यह आरोप लगाया जाता रहा है उन्होंने दंगे रोकने के लिए समुचित कदम नहीं उठाए।