प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ती डीवाई चन्द्रचूड़ की पीठ के समक्ष यह मामला आने पर उन्होंने कहा कि पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ आधार से जुड़े मामलों की सुनवाई करेगी। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और विभिन्न जन-कल्याण योजनाओं में आधार को अनिवार्य बनाने के सरकारी फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने संयुक्त रूप से इस मामले को पीठ के समक्ष रखा और अनुरोध किया कि इस संबंध में संविधान पीठ द्वारा जल्द सुनवाई की जानी चाहिए।
पीटीआई के मुताबिक, जब न्यायमूर्ती खेहर ने वेणुगोपाल और दीवान से पूछा कि क्या मामले की सुनवाई सात न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ द्वारा की जानी है, तो दोनों पक्षों ने कहा कि यह सुनवाई पांच-न्यायाधीशों की पीठ को करनी है।
वेणुगोपाल और दीवान ने मामले को भारत के प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखा क्योंकि सात जुलाई को तीन-न्यायाधीशों वाली पीठ ने कहा था कि आधार से जुड़े सभी मामलों पर अंतिम फैसला बड़ी पीठ द्वारा होना चाहिए और संविधान पीठ के गठन की जरूरत पर प्रधान न्यायाधीश निर्णय लेंगे।
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान तीन-न्यायाधीशों वाली पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ती जे. चेलमेर ने कहा था, मेरे विचार से मामला एक बार संविधान पीठ के पास जाने के बाद, इससे जुड़े अन्य सभी मामले भी संविधान पीठ के पास ही जाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं सिर्फ यह कह सकता हूं कि मामले का निपटारा नौ-न्यायाधीशों की पीठ कर सकती है’।
पीठ ने कहा कि यह भारत के प्रधान न्यायाधीश पर निर्भर करता है कि मामले पर सुनवाई सात सदस्यीय पीठ करेगी या नौ सदस्यों वाली। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कई आदेशों में सरकार और उसकी एजेंसियों से कहा था कि वे जन-कल्याण योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार अनिवार्य ना बनाएं। हालांकि कोर्ट ने एलपीजी सब्सिडी, जनधन योजना और राशन आपूर्ती जैसी योजनाओं में केन्द्र को स्वैच्छिक रूप से आधार लेने की अनुमति दे दी थी।