देश में 58 सांसदों और विधायकों पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के मामले दर्ज हैं। इनमें भाजपा के सदस्यों की संख्या सबसे ज्यादा है। यह जानकारी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अपनी रिपोर्ट में दी है।
रिपोर्ट के अनुसार, 15 लोकसभा सांसदों ने खुद इन मामलों की जानकारी दी है। इनमें से 10 ऐसे लोकसभा सांसद हैं जो बीजेपी से ताल्लुक रखते हैं जबकि एक-एक सांसद ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), पीएमके, ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) और शिवसेना से है। हालांकि राज्यसभा के किसी भी सदस्य ने अपनी घोषणा में इसका जिक्र नहीं किया है।
43 मौजूदा विधायकों के खिलाफ इस तरह के मामले
रिपोर्ट के मुताबिक, 43 मौजूदा विधायकों के खिलाफ नफरत फैलाने वाला भाषण देने से जुड़े मामले दर्ज हैं। इनमें 17 भाजपा, 5-5 टीआरएस और एआईएमआईएम, 3 टीडीपी, 2-2 कांग्रेस, जदयू, एआईटीसी और शिवसेना, एक-एक डीएमके, बसपा, सपा और दो निर्दलीय के खिलाफ मामले दर्ज हैं। एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच ने ये आंकड़े सांसदों और विधायकों द्वारा दिए गए हलफनामे के आकलन के बाद जुटाए हैं।
इन राज्यों में सबसे ज्यादा मामले
राज्यवार बात करें तो इस मामले में तेलंगाना के नेता सबसे आगे हैं। राज्य के 11 विधायाकों पर इस तरह के केस दर्ज हैं। इसके बाद बिहार के 4, यूपी के 9 महाराष्ट्र के 4, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के 3-3 विधायक, उत्तराखंड और पश्चिम के 2-2 विधायक शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान और झारखंड में सिर्फ एक-एक विधायकों पर इस मामले में केस दर्ज हैं।
केंद्रीय मंत्री उमा भारती का नाम भी हैं शामिल
एडीआर के मुताबिक, केंद्रीय मंत्रियों की बात करें तो इस मामले में उमा भारती का नाम भी इसमें शामिल हैं। वहीं, 8 राज्य मंत्रियों के खिलाफ भी नफरत फैलाने वाले भाषण देने का मामला दर्ज हैं। एडीआर ने कहा है कि एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और एआईयूडीएफ के बदरुद्दीन अजमल जैसे नेताओं ने अपनी घोषणा में इससे संबंधित मामला दर्ज होने की बात कही है।