विधायकों और सांसदों पर मुकदमों को जल्द निपटाने के लिए गठित स्पेशल कोर्ट ने यूपी सरकार की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया है। स्पेशल जज पवन कुमार तिवारी ने यह आदेश पिछले एक साल से कई तारीखों पर जमानती वारंट जारी होने के बावजूद हाजिर नहीं होने पर दिया है। रीता बहुगुणा को 31 अक्टूबर को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है।
मामले पर लखनऊ की सर्बोडिनेट कोर्ट ने 14 फरवरी 2011 को संज्ञान लिया था। तब से यह मामला लखनऊ में विचाराधीन है। इसके बाद भी कई सम्मन जारी हुए। पिछले साल 18 अगस्त को दस हजार रुपये का जमानती वारंट जारी हुआ। इस साल 17 सितम्बर को भी जमानती वारंट जारी हुआ लेकिन रीता बहुगुणा जोशी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुई। मामले का शीघ्र निपटारा आरोपियों के कोर्ट में मौजूद हुए बिना संभव नहीं था जिस पर कोर्ट अदालत ने गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया।
ये है कोर्ट का आदेश
आदेश के मुताबिक, रीता बहुगुणा जोशी 31 अक्टूबर को स्वंय कोर्ट में उपस्थित रहेंगी। विधि, न्याय और प्रक्रिया का हू-ब-हू पालन करेंगी। साक्ष्य को नष्ट नहीं करेंगी और साक्षियों को प्रभावित नहीं करेंगी। मुकदमे के त्वरित निपटारे में सहयोग करेंगी और न्यायिक प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा नहीं डालेंगी। कोर्ट ने चेतावनी भी दी है कि इन शर्तोँ का पालन नहीं करने पर विधिसंगत कार्रवाई की जा सकती है।
निषेधाज्ञा के उल्लंघन पर दर्ज हुआ था मामला
लखनऊ के वजीरगंज थाने में साल 2010 में यह केस तब दर्ज हुआ था जब रीता बहुगुणा जोशी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हुआ करती थीं। मामले में कांग्रेस महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष मीरा सिंह के साथ रीता बहुगुणा जोशी पर आरोप है कि उन्होंने धारा 144 लागू होने के बाद शहीद पथ पर सभा की और उसके बाद भीड़ के साथ विधानसभा पहुंची। आरोप है कि पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो बड़ा बवाल, तोड़फोड़ व आगजनी की गयी थी।