दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) उमेश कुमार की नियुक्ति से दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल कार्यालय के बीच टकराव पैदा हो गया है। डीईआरसी के अध्यक्ष की नियुक्ति को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की एक महत्वपूर्ण याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने उमेश कुमार की नियुक्ति पर 11 जुलाई तक रोक लगा दी है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा 11 जुलाई को ही मामले की अगली सुनवाई की जाएगी। ऐसे में तब तक इस नियुक्ति पर रोक लगी रहेगी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति की 22 जून की अधिसूचना को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र और उपराज्यपाल को नोटिस भी जारी किया है।
बता दें कि 3 जुलाई को, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को न्यायमूर्ति कुमार का शपथ ग्रहण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूरा करने की सलाह दी थी, क्योंकि कैबिनेट मंत्री आतिशी के स्वास्थ्य के कारण कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया था।
इधर, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा, "इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश (डीईआरसी अध्यक्ष के रूप में) को शपथ दिलाना स्थगित कर दिया गया है।" सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस नियुक्ति पर रोक लगाई है और सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख निर्धारित की है।
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह गरीबों को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देती है। दिल्ली सरकार का आरोप है कि यह दिल्ली की सबसे लोकप्रिय योजना है और एलजी अपना चेयरमैन नियुक्त कर मुफ्त बिजली बंद करना चाहते हैं। उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच की तनातनी का यह पहला मौका नहीं है। आए दिन किसी न किसी मामले पर दोनों पक्ष एक दूसरे के सामने खड़े दिखते हैं।