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केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, कहा- राजद्रोह कानून पर फिर से करेंगे विचार

केंद्र सरकार ने राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार की बात कही है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से राजद्रोह कानून...
केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, कहा- राजद्रोह कानून पर फिर से करेंगे विचार

केंद्र सरकार ने राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार की बात कही है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार नहीं करने और केंद्र द्वारा पुनर्विचार की कवायद का इंतजार करने को कहा है।

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने देशद्रोह कानून के प्रावधानों की फिर से जांच करने और पुनर्विचार करने का फैसला किया है और अनुरोध किया है कि जब तक सरकार द्वारा मामले की जांच नहीं की जाती तब तक देशद्रोह का मामला नहीं उठाया जाए।

इससे पहले केंद्र ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह से संबंधित दंडात्मक कानून और इसकी वैधता बरकरार रखने के संविधान पीठ के 1962 के एक निर्णय का बचाव किया था। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 5 मई को कहा था कि वह 10 मई को इसपर सुनवाई करेगी कि क्या राजद्रोह से संबंधित औपनिवेशिक युग के दंडात्मक कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी पीठ के पास भेजा जा सकता है।

कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने शुक्रवार को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में 2014 से 2019 के बीच राजद्रोह के 326 मामले दर्ज किए गए थे। प्रदेश कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता सचिन सावंत ने इस आंकड़े को ट्वीट करते हुए कहा कि केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान 2019 के बाद दर्ज किए गए राजद्रोह के मामलों की संख्या अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलने के लिए राजद्रोह के कुल 149 और (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बोलने के लिए 144 मामले दर्ज किए गए। केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया और हाथरस बलात्कार मामले के बारे में लिखने के लिए उत्तर प्रदेश जाने के बाद डेढ़ साल से जेल में हैं।

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