केरल के प्रसिद्ध अयप्पा भगवान के सबरीमला मंदिर में सदियों से चली आ रही प्रथा बुधवार को तब टूट गई जब 40 वर्ष से कम उम्र की दो महिलाओं ने मंदिर में दर्शन किए। 800 साल पुरानी इस प्रथा के टूटने के बाद से ही राज्य में बवाल मचा हुआ है। बुधवार को ही सबरीमाला में महिलाओं की एंट्री के बाद काफी प्रदर्शन हुआ था, इसी में घायल हुए 55 वर्षीय चंदन उन्नीथन की मौत हो गई।
दो हिरासत में तो दो लोग गिरफ्तार
गुरुवार को सबरीमला में प्रदर्शन कर रहे 2 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और दो को हिरासत में लिया है, इन चारों पर महिला पुलिसकर्मी पर हमला करने का आरोप था। 55 वर्षीय चंदन उन्नीथन, ‘सबरीमाला कर्म समिति’ का कार्यकर्ता था, जो कि महिलाओं के मंदिर में घुसने का विरोध कर रहा था।
बुधवार को राज्य के एर्नाकुलम जिले में सीपीआईएम-बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प में चंदन उन्नीथन घायल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। हालांकि, देर रात ही उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद आज कई हिंदूवादी संगठनों ने राज्य बंद का आह्वान किया है। बताया जा रहा है कि बुधवार को राज्य सचिवालय के बाहर करीब 5 घंटे तक संघर्ष चला, जिसमें माकपा-भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच पत्थरबाजी हुई।
मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं की एंट्री पर थी रोक
गौरतलब है कि भगवान अयप्पा के इस मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं की एंट्री पर रोक थी। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने इस परंपरा को खत्म किया था, जिसका भारतीय जनता पार्टी और अन्य हिंदू संगठनों ने काफी विरोध किया था।
सीएम विजयन ने की दो महिलाओं के मंदिर में प्रवेश और दर्शन करने की पुष्टि
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने भी बिंदू और कनक दुर्गा नाम की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश और दर्शन करने की पुष्टि की। इन महिलाओं ने सुबह-सुबह 3.30 बजे दर्शन किए, लेकिन जैसे ही ये खबर फैली तो हंगामा मच गया। महिलाओं के दर्शन करने के बाद मंदिर की शुद्धि की गई और बाद में दोबारा मंदिर के कपाट खोले गए।
महिलाओं ने बनाई थी 620किलोमीटरलंबी मानव श्रृंखला
काले परिधान पहने और चेहरों को ढकी महिलाओं ने तड़के तीन बजकर 38 मिनट पर मंदिर में प्रवेश किया। इससे एक ही दिन पहले केरल में राष्ट्रीय राजमार्गों पर करीब 35 लाख महिलाएं लैंगिक समानता बरकरार रखने की सरकारी पहल के तहत कासरगोड के उत्तरी छोर से तिरूवनंतपुरम के दक्षिणी छोर तक 620 किलोमीटर की मानव श्रृंखला बनाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हुईं थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था ऐतिहासिक फैसला
28 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है. यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है और मंदिर में प्रवेश से रोका जा रहा है. यह स्वीकार्य नहीं है.