दिल्ली हाई कोर्ट ने कॉरपोरेट लॉबिस्ट दीपक तलवार की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया है और इस पर 11 फरवरी को जवाब मांगा है। दीपक तलवार ने प्रत्यर्पण को गैर-कानूनी बताते हुए चुनौती दी है।
मनी लॉड्रिंग मामले में कथित लॉबिस्ट दीपक तलवार और कारोबारी राजीव सक्सेना को 31 जनवरी को दुबई से प्रत्यर्पण करके लाया गया था। ईडी ने भारत आते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
विदेशी फंडिंग के जरिए रकम लेने का आरोप
कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत विदेशी फंडिंग के जरिए ली गई 90 करोड़ रुपये से अधिक की रकम के गलत इस्तेमाल के मामले में ईडी और सीबीआई की ओर से दर्ज केस में तलवार की तलाश थी। तलवार पर यूरोप की मिसाइल निर्माता कंपनी से अपने एनजीओ की ओर से प्राप्त किए गए 90.72 करोड़ रुपये किसी और मद में खर्च कर देने, आपराधिक साजिश और फर्जीवाड़े के आरोप लगे हैं। उसके एनजीओ को एंबुलेंस और अन्य सामान खरीदने के लिए 90.72 करोड़ रुपये दिए गए थे।
हिरासत चार दिन बढ़ी
इससे पहले सोमवार को दिल्ली की एक अदालत ने आरोपी राजीव सक्सेना को चार और दिन के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
3600 करोड़ के अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल से पूछताछ में यह बात सामने आई थी कि इस मामले में राजीव कुमार और दीपक तलवार का भी हाथ है। इस मामले में राजीव सक्सेना और उनकी पत्नी शिवानी भी आरोपी हैं। दोनों दुबई की एक कंपनी यूएचवाई सक्सेना एंड मैट्रिक्स होल्डिंग के निदेशक हैं। पिछले साल राजीव सक्सेना के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था और उन पर हेलीकॉप्टर डील में मनी लॉड्रिंग का आरोप है।
पिछले साल दिसंबर में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की सरकार ने प्रत्यर्पण के जरिए ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल को भारत को सौंपा था। आरोप है कि मिशेल ने हेलीकॉप्टर डील में बिचौलिये की भूमिका निभाई थी।
ये थी डील
2010 में भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए एंग्लो-इतालवी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड और भारत सरकार के बीच करार हुआ था। जनवरी 2014 में भारत सरकार ने 3600 करोड़ रुपये के करार को रद्द कर दिया। आरोप था कि इसमें 360 करोड़ रुपये का कमीशन लिया गया।
इसके बाद भारतीय वायुसेना को दिए जाने वाले 12 एडब्ल्यू-101 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की सप्लाई के करार पर सरकार ने फरवरी 2013 में रोक लगा दी थी। जिस वक्त यह आदेश जारी किया गया, भारत 30 फीसदी भुगतान कर चुका था और बाकी तीन अन्य हेलीकॉप्टरों के लिए आगे के भुगतान की प्रक्रिया चल रही थी।
यह मामला इटली की अदालत में चला जिसमें ये बातें उजागर हुईं कि 53 करोड़ डॉलर का ठेका पाने के लिए कंपनी ने भारतीय अधिकारियों को 100-125 करोड़ रुपये तक की रिश्वत दी थी। इतालवी कोर्ट के फैसले में पूर्व आईएएफ चीफ एस पी त्यागी का भी नाम सामने आया था।