ऑल इंडिया किसान सभा (एआइकेएस) ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का कड़ा विरोध किया है और कहा है कि इस कदम से कश्मीर में आतंकवाद और भड़केगा, जिससे निर्दोष लोगों की जानें जाएंगी। सरकार के इस कदम से संविधान के तहत देश के संघीय ढांचे और धर्म निरपेक्ष के सिद्धांतों को भी आघात लगा है।
संधियों और संविधान का उल्लंघन किया सरकार ने
एआइकेएस के अध्यक्ष अशोक धवाले और महासचिव हनान मुल्ला ने एक बयान जारी करके कहा है कि अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू कश्मीर का विभाजन करने के लिए राज्य विधानसभा से भी मंजूरी नहीं ली गई। यह गैर जिम्मेदाराना कदम पिछली संधियों और संविधान के तहत किए गए वायदों का भी उल्लंघन करता है।
मोदी ने अपना चुनावी वायदा भी तोड़ा
सरकार ने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों, सीपीआइ-एम के विधायक और दूसरे नेताओं को उनके घरों में नजरबंद कर दिया है। यह एनडीए सरकार का अलोकतांत्रिक और तानाशाही भरा रवैया दर्शाता है। बयान में कहा गया है कि कश्मीर का भारत में पूरी तरह विलय नहीं हुआ था, यही वजह है कि संविधान में कश्मीर को विशेष दर्जा और स्वायत्तता दी गई थी। लोकतंत्र में एकतरफा कदम नहीं उठाए जाते हैं बल्कि अल्प संख्यकों का सम्मान और रक्षा की जाती है। मोदी सरकार ने कश्मीर समस्या के समाधान के लिए सभी पक्षों से बातचीत करने के अपने चुनावी वायदे का भी उल्लंघन किया है।
लोकतांत्रिक और प्रगतिवादी वर्ग मिलकर मुकाबला करें
एआइकेएस ने कहा है कि विपक्ष बंटा होने और आम चुनाव में पैसे का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने के बावजूद एनडीए सरकार को 50 फीसदी वोट नहीं मिले हैं। इससे स्पष्ट होता है कि देश की बहुमत जनता सरकार की विभाजनकारी, सांप्रदायिक और तानाशाही वाली नीतियों से सहमत नहीं है। इस लड़ाई में जीत धर्म निरपेक्ष, लोकतांत्रिक और समाजवादी विचारों वाली देश की जनता की होगी और कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा बना रहेगा। किसान सभा ने सभी लोकतांत्रिक और प्रगतिवादी वर्गों के लोगों और राजनीतिक दलों से एकजुट होने और मिलकर सरकार की तानाशाही और सांप्रदायिकतावादी कदम का विरोध करने की अपील की है।