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विदेश मंत्री जयशंकर और वांग यी मिले, "मतभेद विवाद में बदलने नहीं चाहिए"

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सोमवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों...
विदेश मंत्री जयशंकर और वांग यी मिले,

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सोमवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों पर गहन चर्चा की। मुलाक़ात में जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के बीच "मतभेद हो सकते हैं, लेकिन वे विवाद में नहीं बदलने चाहिए।"जयशंकर ने बैठक में कहा, “आतंकवाद के खिलाफ हर रूप और हर स्तर पर लड़ाई हमारी साझा प्राथमिकता है। हमें उम्मीद है कि हमारी चर्चाएँ भारत-चीन संबंधों को स्थिर, सहयोगी और भविष्य उन्मुख बनाएंगी, जिससे दोनों देशों के हित साधे जा सकें और चिंताओं का समाधान हो।”

उन्होंने आगे बताया कि मंगलवार को वांग यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच सीमा मुद्दों पर विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता होगी। जयशंकर ने ज़ोर दिया कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना किसी भी सकारात्मक गति के लिए सबसे अहम है और डी-एस्केलेशन प्रक्रिया को आगे बढ़ाना ज़रूरी है।

चर्चा के दौरान वैश्विक परिदृश्य भी केंद्र में रहा। जयशंकर ने कहा, “जब दुनिया के दो सबसे बड़े देश मिलते हैं तो अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर चर्चा स्वाभाविक है। हम एक न्यायसंगत, संतुलित और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था चाहते हैं, जिसमें बहुध्रुवीय एशिया भी शामिल हो। सुधारित बहुपक्षवाद आज की आवश्यकता है। वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता बनाए रखना और बढ़ाना भी आवश्यक है।”

वहीं, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखी है और भारत की कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनः शुरू किया है। उन्होंने भरोसा जताया कि दोनों देश हस्तक्षेप को दूर कर सहयोग बढ़ाएंगे और संबंधों को आगे बढ़ाने की गति को मजबूत करेंगे।

यह मुलाक़ात ऐसे समय पर हो रही है जब दिसंबर में अजीत डोभाल बीजिंग गए थे और 23वें दौर की सीमा वार्ता की थी। उससे पहले कज़ान में BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने संवाद तंत्र को पुनर्जीवित करने पर सहमति जताई थी।

वांग यी की यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी के 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन (चीन) में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने से पहले हो रही है।

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