इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया है।सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार, 11 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।आज अदालत ने जनहित याचिका को "निराधार" मानते हुए खारिज कर दिया।यह आदेश मुख्य न्यायाधीश अरुण सिंह की खंडपीठ द्वारा जारी किया गया।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता केशर सिंह, योगेन्द्र कुमार पाण्डेय और कमलेश सिंह द्वारा जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें मेले के दौरान कुप्रबंधन को उजागर किया गया था।याचिका में महाकुंभ क्षेत्र में भगदड़ के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को उचित वित्तीय सहायता प्रदान करने के निर्देश देने की मांग की गई है।याचिका में अदालत से यह भी अनुरोध किया गया कि वह अधिकारियों को मेले के 'कुप्रबंधन' पर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दे और इस संबंध में उचित कार्रवाई करे।याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने बहस की।याचिकाकर्ताओं के वकील ने महाकुंभ की अव्यवस्था, प्रशासनिक लापरवाही और गंगा जल के प्रदूषण के संबंध में दलीलें पेश कीं।
याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार और 13 अन्य प्रतिवादियों को नामित किया था, जिनमें डीआईजी महाकुंभ मेला वैभव कृष्ण, डिजिटल कुंभ इलेक्ट्रॉनिक्स के नियंत्रक आईपीएस अजय पाल शर्मा, तुलसी पीठ के स्वामी राम भद्राचार्य, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री, यूपी विद्युत लिमिटेड, प्रयागराज मंडल आयुक्त, जिला मजिस्ट्रेट, एसएसपी मेला, डीसीपी ट्रैफिक, महाकुंभ मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और प्रयागराज मेला प्राधिकरण शामिल थे।सरकार की ओर से एएजी मनीष गोयल और अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता ए.के. गोयल ने अदालत में मामले का प्रतिनिधित्व किया।