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अमित शाह ने डीएमके पर निशाना साधा, कहा- कुछ लोग अपने घोटाले छिपाने के लिए भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं

त्रिभाषा फार्मूले का विरोध करने पर डीएमके पर निशाना साधते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने...
अमित शाह ने डीएमके पर निशाना साधा, कहा- कुछ लोग अपने घोटाले छिपाने के लिए भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं

त्रिभाषा फार्मूले का विरोध करने पर डीएमके पर निशाना साधते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि भाषा के आधार पर देश को विभाजित करने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए और "कुछ लोग अपने घोटालों और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं"।

अमित शाह, जो अपने मंत्रालय के कामकाज पर राज्यसभा में बहस का जवाब दे रहे थे, ने कहा कि तमिलनाडु सरकार में मेडिकल और इंजीनियरिंग अध्ययन सामग्री का तमिल में अनुवाद करने का "साहस नहीं है"।

अमित शाह ने कहा, "मैं कुछ कहना चाहूंगा ताकि भाषा के नाम पर देश को बांटने वालों को अपना एजेंडा पूरा न करने दिया जाए। आधिकारिक भाषा विभाग के तहत नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना की है जो सभी भारतीय भाषाओं - तमिल, तेलुगु, मराठी, गुजराती, पंजाबी, असमिया, बंगाली, सभी भाषाओं के उपयोग को बढ़ाने के लिए काम करेगी। दिसंबर के बाद मैं नागरिकों, सीएम, मंत्रियों और सांसदों के साथ उनकी अपनी भाषा में पत्र व्यवहार करूंगा।"

डीएमके का नाम लिए बगैर उन्होंने उस पर घोटालों को छिपाने के लिए भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

अमित शाह ने कहा कि जब तमिलनाडु में एनडीए सरकार सत्ता में आएगी तो वह तमिल में मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम उपलब्ध कराएगी।उन्होंने कहा, "हमने भाषाओं के लिए काम किया है...मैं तमिलनाडु सरकार से कहना चाहूंगा - हम दो साल से कह रहे हैं कि आपके पास मेडिकल और इंजीनियरिंग अध्ययन सामग्री का तमिल में अनुवाद करने का साहस नहीं है...आप ऐसा नहीं कर सकते। जब एनडीए सरकार (तमिलनाडु में) सत्ता में आएगी, तो हम तमिलनाडु में मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम तमिल में उपलब्ध कराएंगे।"

गृह मंत्री ने कहा कि हिन्दी की किसी अन्य भारतीय भाषा से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है तथा यह सभी भारतीय भाषाओं की मित्र है।

"मैं भाषा के नाम पर ज़हर फैलाने वालों से कहना चाहता हूँ कि आपको हज़ारों किलोमीटर दूर की भाषाएँ अच्छी लगती हैं, लेकिन भारत की भाषा नहीं...मैंने बार-बार कहा है कि हिंदी का किसी अन्य भारतीय से कोई मुक़ाबला नहीं है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अंतर-राज्यीय परिषद गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करती है और केंद्र व राज्यों के बीच मुद्दों को सुलझाने का काम करती है।

2004 से 2014 के बीच जोनल काउंसिल की सिर्फ़ 11 बैठकें हुई थीं, लेकिन 2014 से अब तक 27 बैठकें हो चुकी हैं। स्टैंडिंग कमेटी की 2004 से 2014 के बीच 14 बैठकें हुई थीं, लेकिन 2014 से अब तक 33 बैठकें हो चुकी हैं। पहले जोनल काउंसिल की बैठकों में सिर्फ़ 448 मुद्दे हल होते थे, लेकिन हमारी सरकार के दौरान 1280 मुद्दे हल हुए हैं। उन्होंने कहा कि अंतर-राज्यीय परिषद हमारे संघीय ढांचे को मज़बूत करने में एक महत्वपूर्ण साधन है।

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