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दिव्यांग सैनिकों की पेंशन पर कर लगाने के फैसले को सेना से समर्थन मिलने पर खफा पूर्व सैन्य अधिकारी

सरकार द्वारा ड्यूटी निभाते हुए अपंग हुए सैन्यकर्मियों को मिलने वाली पेंशन पर कर लगाने के कदम को...
दिव्यांग सैनिकों की पेंशन पर कर लगाने के फैसले को सेना से समर्थन मिलने पर खफा पूर्व सैन्य अधिकारी

सरकार द्वारा ड्यूटी निभाते हुए अपंग हुए सैन्यकर्मियों को मिलने वाली पेंशन पर कर लगाने के कदम को समर्थन देने के लिए सेना को बुधवार को सशस्त्र बलों के भूतपूर्व सैनिकों की तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा। केंद्र के इस फैसले पर निराशा जताने के लिए कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने ट्विटर का सहारा लिया।

सेना ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर सरकार के इस फैसले पर समर्थन देते हुए कहा कि कुछ सालों से दिव्यांगता के लिए आयकर से छूट सहित मिले मुआवजे के चलते दिव्यांगता का दावा करने वाले कर्मियों की संख्या में इजाफा हुआ है। इस समर्थन पर भूतपूर्व सैनिकों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से जारी किया गया लेटर

सेना की प्रतिक्रिया वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यालय की ओर से मंगलवार को ट्वीट किए गए एक पत्र के कुछ घंटों बाद आई। इस पत्र में कहा गया कि अनैतिक कर्मियों ने सरकार द्वारा सैनिकों को दिए जा रहे दिव्यांगता लाभों से फायदा लिया है।

इन पूर्व सैन्य अधिकारियों ने जताई निराशा

पूर्व सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने ट्वीट किया, “एडीजीपीआई संभवत: अपनी सबसे बुरी स्थिति में। अपने ही खिलाफ प्रचार कर रही है।” कारगिल युद्ध में अपंग हुए एवं भारत के “ब्लेड रनर” के तौर पर मशहूर मेजर डी पी सिंह ने भी ट्विटर पर निराशा जाहिर की।

मेजर डी पी सिंह

मशहूर मेजर डी पी सिंह ने ट्वीट किया, “सेवा के दौरान दिव्यांग होने को सकारात्मक तरीके से देखने का समय आ गया है। कोसते रहना समाधान नहीं है बल्कि रास्ते की रुकावटों को ढूंढना और उन्हें दूर करना हल है।” उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, “कई बैठकों के बावजूद कम उम्र के कैडेटों का प्रशिक्षण के दौरान अपंग हो जाना और स्वयं के लिए प्रबंध करने के लिए अक्षम बता कर बाहर किए जाने, जिन्हें दिव्यांगता पेंशन भी नहीं दी जाती, ऐसे मार्मिक मुद्दों को नजरअंदाज किया जाता है लेकिन एक अहस्ताक्षरित टिप्पणी पर इतनी जल्दी कार्रवाई होती है।”

एस एस चौहान

मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एस एस चौहान ने ट्वीट किया, “आप दूसरों पर कैसे दोष लगा सकते हैं जब आपके खुद के अंदर खामियां हैं।” एक अन्य भूतपूर्व सैनिक ने ट्वीट किया, “अगर प्रक्रिया सही नहीं है तो खामियों को दूर करें लेकिन सभी को एक समान बता कर दिव्यांग जनों को दंडित न करें।” ड्यूटी निभाते वक्त किसी तरह की अपंगता का शिकार होने पर सशस्त्र बलों के कर्मियों को एक अलग पेंशन मिलती है । यह राशि उनकी रैंक और दिव्यांगता किस तरह की है इस पर निर्भर करती है।

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