नई दिल्ली, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में डेंटल शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के अनुप्रयोग पर एक उच्च स्तरीय बैठक क़ा आयोजन किया गया।विश्व स्वास्थ्य संगठन की ग्लोबल ओरल हेल्थ स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, मौखिक बीमारियाँ वैश्विक स्तर पर 3.5 अरब व्यक्तियों को प्रभावित करती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एआई डायग्नोस्टिक सटीकता, उपचार योजना, और मरीज की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इस परियोजना पर क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन, मौलाना आजाद इंस्टिट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज और गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय मिल कर काम कर रहे हैं जिसे यूकेरी और स्पार्क द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य डेंटल छात्रों के लिए एक प्रशिक्षण मॉड्यूल का विकास और इसके प्रभाव का अध्ययन करना है। क्यूएमयूएल, लंदन से डॉ. मनु राज माथुर और डॉ. अनिल गोलकरी, आईपीयू से प्रोफेसर डॉ. महेश वर्मा, और मेड्स से प्रोफेसर डॉ. विक्रांत मोहंती इस परियोजना के मुख्य शोधकर्ता हैं।
आईपीयू के कुलपति पद्मश्री प्रोफेसर (डॉ.) महेश वर्मा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि यह स्वास्थ्य अनुसंधान में एकमात्र प्रतिस्पर्धी पुरस्कार है जो यूके और भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के संघ द्वारा प्रदान किया गया है। यह पहल एक पथ-प्रदर्शक परियोजना होगी, जो डेंटल शिक्षा में एआई के उचित नैतिक मानकों के अनुसार एकीकरण की दिशा में एक नया रास्ता खोलगी।
डॉ. वर्तिका कठुरिया मोंगा, परियोजना समन्वयक ने परियोजना की रूपरेखा साझा की। प्रोफेसर विक्रांत मोहंती ने "भारतीय डेंटल शिक्षा में एआई की वर्तमान स्थिति और संभावनाओं" पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 317 डेंटल कॉलेज संचालित हैं, जिनमें 28,000 स्नातक, 8,000 पीजी सीटें, 15,000 शिक्षक और 3.7 लाख डेंटिस्ट अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं।
डॉ. अली गोलकरी ने "एआई में हालिया उन्नतियाँ: क्यूएमयूएल परियोजनाओं की एक झलक" पर प्रकाश डाला। उन्होंने डेंटल शिक्षा में हैप्टिक्स की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रोफेसर डॉ. मनु राज माथुर ने परियोजना के अगले कदम और मील के पत्थर के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे 57 आवेदनों में से केवल एक स्वास्थ्य पर, और वह भी मौखिक स्वास्थ्य पर, पुरस्कार प्राप्त हुआ। बैठक का उद्देश्य परियोजना की रूपरेखा और समयरेखा विकसित करना था।