हालांकि अरुंधती रॉय ने कहा, मैं इसे तूल नहीं देना चाहती। इस वक्त मैं कई जरूरी कामों में व्यस्त हूं। अरुंधती रॉय की नई किताब 'द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस' अगले महीने बाज़ार में आ रही है। उन्होंने कहा, आप हर एक से यह उम्मीद नहीं रख सकते हैं कि वे खड़े होकर आपके लिए ताली बजाएं।
अरुंधती ने कहा, मुझे विरोध से फर्क नहीं पड़ता। मेरी रचनाओं के लिए मेरा समर्थन करने वाले बड़ी संख्या में हैं। मैं जब पंजाब जाती हूं तो हजारों लोग समर्थन में आ जाते हैं और यही हाल ओडिशा में भी है। उन्होंने कहा, 'अगर लोगों को लगता है कि उनके रिजेक्शन से मैं बुरा महसूस करूंगी तो उन्हें फिर से सोचना चाहिए। ऐसे लोग अगर मेरी रचनाओं को पसंद करते हैं तो यह मेरा ही अपमान होगा।
वामपंथी रुझान वाली अरुंधती कश्मीर और बस्तर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपने बयानों से पहले ही सुर्खियां बटोर चुकी हैं। बस्तर में नक्सल समस्या के पीछे वह भारत सरकार का हाथ और कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग नहीं बताने संबंधी बयानों से पहले ही विवादों में रह चुकी हैं।