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एएसआई ने भोजशाला सर्वेक्षण रिपोर्ट मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को सौंपी; मामले की सुनवाई 22 जुलाई को

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सोमवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ को विवादित...
एएसआई ने भोजशाला सर्वेक्षण रिपोर्ट मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को सौंपी; मामले की सुनवाई 22 जुलाई को

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सोमवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ को विवादित भोजशाला-कमल मौला मस्जिद परिसर की अपनी वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंप दी।

एएसआई के वकील हिमांशु जोशी ने 2,000 से अधिक पृष्ठों की रिपोर्ट उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को सौंप दी। जोशी ने कहा, "मैंने रिपोर्ट सौंप दी है। उच्च न्यायालय 22 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगा।" मीडिया से बात करते हुए अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने दावा किया कि एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि विवादित परिसर में एक हिंदू मंदिर हुआ करता था और कहा गया था, "केवल हिंदू पूजा ही होनी चाहिए"। नमाज पढ़ने की अनुमति देने वाला एएसआई का 2003 का आदेश अवैध है...वहां से 94 से ज्यादा टूटी हुई मूर्तियां बरामद की गई हैं...कोई भी व्यक्ति जो उन चीजों को देखता है, वह आसानी से कह सकता है कि वहां पहले मंदिर हुआ करता था..."

मामले के याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने एएनआई से कहा, "एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट आज हाईकोर्ट में पेश की गई है। कोर्ट ने रिपोर्ट का ब्योरा सार्वजनिक न करने का आदेश दिया है। हमें पूरा भरोसा है कि यह मां सरस्वती का मंदिर भोजशाला है। हमारी मांग है कि वहां नमाज पढ़ना बंद किया जाए और हिंदुओं को वहां प्रार्थना करने की अनुमति दी जाए।"

उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' के आवेदन पर राज्य के धार जिले में स्थित परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने के लिए एएसआई को आदेश दिया था और इस कार्य के लिए प्रमुख एजेंसी को छह सप्ताह का समय दिया था।

22 मार्च को सर्वेक्षण शुरू करने वाले एएसआई ने इसे पूरा करने के लिए दो बार समय बढ़ाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इससे पहले 29 अप्रैल को हाईकोर्ट ने एएसआई को सर्वेक्षण पूरा करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया था और 2 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने को कहा था। हालांकि, एजेंसी ने चार सप्ताह का समय बढ़ाने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।

हाईकोर्ट ने 4 जुलाई को एएसआई को विवादित 11वीं सदी के स्मारक के परिसर में लगभग तीन महीने तक चले सर्वेक्षण की पूरी रिपोर्ट 15 जुलाई तक पेश करने का आदेश दिया था। यह स्मारक हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विवाद का विषय है। हिंदू समुदाय भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है। विवाद बढ़ने के बाद एएसआई ने 7 अप्रैल, 2003 को स्मारक तक पहुंच के संबंध में एक आदेश जारी किया था।

पिछले 21 वर्षों से लागू इस आदेश के अनुसार, हिंदुओं को मंगलवार को भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुसलमान शुक्रवार को इस स्थान पर नमाज अदा कर सकते हैं। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने अपनी याचिका में इस व्यवस्था को चुनौती दी है। 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन कहा था कि इस अभ्यास के परिणाम पर उसकी अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। शीर्ष अदालत का यह निर्देश मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी द्वारा वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 11 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आया है।

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