यूक्रेन पर बढ़ते तनाव के मद्देनजर भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने राजनयिक अधिकारियों से भी परिवारों को वापस भेजने के लिए कह दिया है। साथ ही यहां रह रहे अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि जिन भारतीयों का यहां रहना बहुत जरूरी न हो, वे तत्काल देश छोड़ दें। यहां पढ़ाई कर रहे सभी भारतीय छात्रों को भी अस्थाई तौर पर यूक्रेन छोड़ देने की सलाह दी है। अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश पहले ही इस तरह का कदम उठा चुके हैं।
यूक्रेन स्थित भारतीय दूतवास की ओर से रविवार को यह एडवाइजरी जारी की गई है। दूतावास ने कहा कि यूक्रेन से ‘‘व्यवस्थित ढंग से और समय से प्रस्थान करने’’ के लिए उपलब्ध वाणिज्यिक उड़ानें, और चार्टर उड़ानें ली जा सकती हैं। उसने कहा, ‘‘भारतीय छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे चार्टर उड़ानों संबंधी सूचना के लिए संबंधित अनुबंधकर्ताओं से भी संपर्क करें और किसी भी जानकारी के लिए ई एंबेसी फेसबुक, वेबसाइट और ट्विटर पर दी जा रही सूचनाओं को देखते रहें।’’
कीव स्थित भारतीय दूतावास की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि यहां से निकासी के लिए कमर्शियल और चार्टर्ड फ्लाइट्स भी उपलब्ध होगी। इस बीच सूत्रों के हवाले से आई जानकारी में यह भी कहा गया है कि भारत ने कीव स्थित अपने दूतावास के कर्मचारियों को देश लौटने के निर्देश दिए हैं। एडवाइजरी ऐसे समय में आई है, जबकि पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित अलगाववादियों और यूक्रेन के सैनिकों के बीच गोलाबारी तथा रूस के परमाणु अभ्यास के बाद तनाव और बढ़ गया है।
भारत की प्रमुख चिंता यूक्रेन में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा है, जिसे यूक्रेन संकट के बीच गुरुवार (17 फरवरी) को आहूत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक में भी भारत ने उठाया था। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा था, यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों में 20 हजार से अधिक भारतीय छात्र और नागरिक रहते हैं। इनमें बहुत से लोग सीमावर्ती इलाकों में रहते हैं। भारत की प्राथमिकता अपने नागरिकों की सुरक्षा है।