जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ राजद्रोह मामले में अभी तक मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं मिल पाई है। इस मामले में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को फिर फटकार लगाते हुए कहा कि जब सरकार से उन्हें मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं मिली थी तो चार्जशीट फाइल करने की इतनी जल्दी क्या थी।
सोमवार को पुलिस ने कोर्ट को बताया कि मंजूरी मिलने में अभी दो से तीन महीने का समय लग सकता है। कोर्ट ने कहा, 'बिना मंजूरी के चार्जशीट फाइल करने की जल्दबाजी क्यों थी।' कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 29 मार्च की तारीख देते हुए डीसीपी से मामले की रिपोर्ट तलब की है।
पुलिस ने जेएनयू नारेबाजी मामले में 12सौ पेज की चार्जशीट फाइल की थी। जनवरी में पुलिस जब कोर्ट में इसे दाखिल करने पहुंचे तो कोर्ट ने इसे लेने से इनकार कर दिया। दिल्ली कोर्ट ने तब भी पूछा था कि चार्जशीट फाइल करने पर दिल्ली सरकार की मंजूरी क्यों नहीं ली गई।
धारा 124ए के लिए दिल्ली सरकार की मंजूरी जरूरी
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने चार्जशीट में जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत कई आरोपियों के खिलाफ राजद्रोह की धारा-124ए लगाई है। इस धारा में कोर्ट सीआरपीसी की धारा-196 के तहत तभी संज्ञान ले सकती है जब दिल्ली सरकार की मंजूरी मिलेगी। अगर दिल्ली सरकार ने समय से मंजूरी नहीं दी तो कोर्ट धारा-124ए पर संज्ञान नहीं लेगी और ये धारा खुद ही खत्म हो जाएगी।
ये है मामला
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में 9 फरवरी 2016 को भारत विरोधी नारे लगाने के मामले में स्पेशल सेल ने पटियाला हाउस कोर्ट में 1200 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। इस चार्जशीट में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान के अलावा सात अन्य छात्रों आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बशरत अली, और खलिद बशीर भट को भी राजद्रोह का आरोपी बनाया गया है। सभी छात्रों से पूछताछ की जा चुकी है।