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ई-कॉमर्स ऐप्स और चीनी दूरसंचार उपकरणों पर लगाया जाए प्रतिबंधः स्वदेशी जागरण मंच

पुलवामा के आतंकी हमले को लेकर देश में कड़ी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इसी सिलसिले में स्वदेशी जागरण मंच...
ई-कॉमर्स ऐप्स और चीनी दूरसंचार उपकरणों पर लगाया जाए प्रतिबंधः स्वदेशी जागरण मंच

पुलवामा के आतंकी हमले को लेकर देश में कड़ी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इसी सिलसिले में स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कई मांग की हैं। मंच के सह-संयोजक डॉ. अश्विनी महाजन ने पत्र में कहा है कि हम वित्त मंत्रालय द्वारा मोस्ट फेवर्ड नेशन की वापसी के साथ-साथ पाकिस्तान से आयातित सभी उत्पादों के लिए सीमा शुल्क में बढ़ोतरी समेत विभिन्न कदमों का स्वागत करते हैं। साथ ही उन्होंने ई-कॉमर्स ऐप्स और चीनी दूरसंचार उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की।

'चीनी कंपनियों को न दिया जाए डेटा'

संगठन का कहना है, 'यह सभी जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर आतंकवादी नामित करने के प्रयासों पर चीन की सरकार लगातार हमारे प्रयासों में बाधा डालती रही है। ऐसे में यह जरूरी है कि सरकार चीनी कंपनियों के लिए भी ऐसी ही बाधा खड़ी करे जो भारत को अपने आर्थिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। जैसा कि आमतौर पर कहा जाता है कि किसी भी चीज के लिए डेटा अब सबसे जरूरी है। तब हमें चीनी कंपनियों को डेटा लेने की मंजूरी नहीं देनी चाहिए।'

'सुरक्षा के लिए जोखिम भरे हैं चीनी ऐप्स'

पत्र में कहा गया है, 'पिछले दो सालों में भारत में चीनी सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स कंपनियों और अन्य चीजों का प्रसार बढ़ा है। इन ऐप्स को विभिन्न सुरक्षा जोखिमों के नजरिए से देखा जाता है। रक्षा मंत्रालय ने दिसंबर 2017 में  सभी सुरक्षा बलों को चीनी मूल की 42 एप्लीकेशन को हटाने के लिए कहा था जो काफी जोखिम भरे थे। डोकलाम संकट के दौरान, सरकार ने चीनी सर्वर और चीनी प्रचार सामग्री को भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए साझा करने के लिए यूसी ब्राउजर की भी जांच शुरू कर दी थी।'

'कई देशों ने लगा रखा है प्रतिबंध'

मंच का कहना है, 'टिकटॉक और हैलो सहित कई ऐप हाल के हफ्तों में मीडिया ने हटाने के लिए कहा था, जो लोगों को गैर जरूरी चीजें दे रहे थे। इस तरह के ऐप पर इंडोनेशिया सहित विभिन्न देशों में प्रतिबंध लगा दिया गया है। ये ऐप बच्चों का विवरण साझा करने, चाइल्ड पोर्नोग्राफी और संभवतः देश विरोधी गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। भारत सरकार को ऐसे ऐप पर प्रतिबंध लगाने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। हमें यह भी तय करने की जरूरत है कि इस तरह की चीनी कंपनियों से भारतीय स्टार्टअप को नुकसान तो नहीं हो रहा है। खासतौर पर इंडियन स्टार्टअप ईको सिस्टम, डेटा सॉवरेनिटी और सुरक्षा को कोई नुकसान पहुचाएंगे।'

'टेलीकॉम कंपनियों पर अंकुश लगाने की जरूरत'

मंच ने कहा है, 'भारत में चीनी टेलीकॉम कंपनियों के संचालन पर अंकुश लगाने की जरूरत है, जो पहले ही भारत में कई महत्वपूर्ण और संवेदनशील 4जी अनुबंध हासिल कर चुकी हें। दूरसंचार में राष्ट्रीय सुरक्षा प्रावधानों को लागू करने के लिए यह साफ मामला है। कई अन्य देशों ने कई महत्वपूर्ण बाजारों से चीनी दूरसंचार उपकरणों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे भारतीय बाजार पर कब्जा करने के लिए चीन की इच्छा बढ़ गई है। इसका उदाहरण हाल के बीएसएनएल टेंडर से देखा जा सकता है जिसमें चीन ने सबसे कम 250 करोड़ रुपये की बोली लगाई। हालाकि बिना राज्य का समर्थन मिले इसका पाना बहुत मुश्किल है।'

'5जी में शामिल हों भारतीय कंपनियां'

मंच ने कहा, 'चीनी कंपनियों ने भारत में 5जी सेक्टर में भी प्रवेश किया है। 5जी उपकरणों के शामिल होने से सुरक्षा का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा। इसलिए यह और भी जरूरी  है कि इन्हें भारतीय कंपनियों स्थापित करें ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा बनी रहे। इससे न केवल उच्च वेतन वाली नौकरियों के अवसर बढ़ेंगे बल्कि तेजी से विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।'

पत्र में कहा गया, 'केवल एक आंतरिक रूप से मजबूत देश ही दो पड़ौसियों के हमलों का सामना कर सकता है। मंच का अनुरोध है कि एक रणनीति के तहत चीनी दूरसंचार उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगाया जाए तथा दुश्मन राज्य की कंपनियों का समर्थन बंद कर देना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर हमें समूचे परिपेक्ष्य में देखना होगा अन्यथा हाल के हमलों जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है।'

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