देश में ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए एयर कंडीशनर (एसी) के ‘डिफॉल्ट’ तापमान को 20 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच मानकीकृत करने के लिए ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) रूपरेखा तैयार कर रहा है।
विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला बीईई ऊर्जा-कुशल प्रक्रियाओं, उपकरणों व प्रणालियों के इस्तेमाल को बढ़ावा देता है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि सरकार जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान और एसी जैसी कूलिंग मशीनों के बढ़ते उपयोग के बीच सभी क्षेत्रों में एसी का तापमान 20 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच रखना अनिवार्य करेगी। इस कवायद का उद्देश्य कूलिंग में अधिक दक्षता लाना और अचानक बिजली की संभावित बढ़ती मांग को नियंत्रित करना के साथ-साथ बिजली बिल में कमी लाना है।
इसका मतलब है कि अगर नए नियम लागू कर दिए जाते हैं तो अभी जिन एसी को आप 18 अथवा 16 डिग्री सेल्सियस पर चलाते हैं उन्हें आपको न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस पर चलाना हगा। इसके अलावा अभी एसी का अधिकतम तापमान 30 डिग्री तक जा सकता है और नए नियम के बाद वह 28 डिग्री पर सीमित हो जाएगा।
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के 2020 के आदेश के अनुसार, सभी कमरों और कारों के एसी के लिए डिफॉल्ट तापमान 24 डिग्री सेल्सियस पर सेट किया जाना चाहिए, जो सभी ब्रांडों और स्टार-लेबल वाले एसी के प्रकारों पर लागू होता है, लेकिन उपयोगकर्ता ऊर्जा दक्षता और आराम करने के लिए वाणिज्यिक भवनों में इसे 24 से 25 डिग्री सेल्सियस तक रखते हैं।
खट्टर ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने फैसला किया है एसी का न्यूनतम तापमान 20°डिग्री तथा अधिकतम तापमान 28°डिग्री सेल्सियस निर्धारित किया जाएगा, ताकि एयर सी के उपयोग में एकरूपता लाई जा सके तथा अत्यंत कम सेटिंग के कारण होने वाली अत्यधिक बिजली खपत को कम करने में मदद मिल सके।’उल्लेखनीय है कि फिलहाल संबंधित मंत्रालयों, विनिर्माताओं और वाहन उद्योग के साथ परामर्श जारी है। परामर्श पूरा होने के बाद दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे और फिर इन्हें लागू किया जाएगा।