Advertisement

पहले भी जजों के खिलाफ लाए जा चुके हैं महाभियोग

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष महाभियोग लाना चाहता है। विपक्षी...
पहले भी जजों के खिलाफ लाए जा चुके हैं महाभियोग

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष महाभियोग लाना चाहता है। विपक्षी पार्टियों के सासंदों ने महाअभियोग के प्रस्ताव के मसौदे पर हस्ताक्षर किये और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात कर इस प्रस्ताव का ड्राफ्ट सौंपा। महाभियोग को सात पार्टियों का समर्थन मिला है।

जजों पर महाभियोग चलाने के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं, लेकिन अभी तक एक भी मामले में महाभियोग साबित नहीं हुआ है।  कुछ ऐसे ही मामलों पर नजर डालते हैं-

सौमित्र सेनः

कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सौमित्र सेन पर महाभियोग चलाने की तैयारी थी। तब हालात ऐसे बन पड़े थे कि वो पहले ऐसे जज होते जिन्हें महाभियोग चलाकर बर्खास्त किया जाता। इस बदनामी से बचने के लिए उन्होंने 2011 में इस्तीफा दे दिया। राज्यसभा में उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया था। सेन के खिलाफ उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की अगुवाई में गठित एक समिति ने जांच की थी। जांच में सही पाए जाने वाले एक मामले में सेन पर 1983 में 33.23 लाख रुपयों की हेराफेरी करने का आरोप था। ये पैसे उन्हें कलकत्ता हाई कोर्ट की तरफ से एक मामले में रिसीवर बनाए जाने के बाद दिए गए थे। सेन उस वक्त वकील थे।

पीडी दिनाकरणः

सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी डी दिनाकरण के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए राज्यसभा के अध्यक्ष ने एक पैनल गठित किया था। महाभियोग की कार्रवाई शुरू होने से पहले ही जुलाई 2011 में इन्होंने इस्तीफा दे दिया। इनके खिलाफ भ्रष्टाचार, जमीन हड़पने, न्यायिक अधिकारों का बेजा इस्तेमाल करने सहित 16 आरोप लगे थे।

नागार्जुन रेड्डीः

साल 2016 में आंध्र और तेलंगाना हाई कोर्ट के जस्टिस नागार्जुन रेड्डी विवादों में आए थे। उन पर एक दलित न्यायाधीश को प्रताड़ित करने के लिये पद का दुरुपयोग करने का आरोप था। जिसके चलते राज्यसभा के 61 सदस्यों ने उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के लिये एक याचिका दी थी। बाद में राज्यसभा के 54 सदस्यों में से उन 9 ने अपना हस्ताक्षर वापस ले लिया था  जिन्होंने जस्टिस रेड्डी के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने का प्रस्ताव दिया था।

जेबी पर्दीवालाः

2015 में राज्य सभा के 58 सांसदों ने गुजरात हाई कोर्ट के जज जेबी पर्दीवाला के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया था। उन पर आरक्षण के मामले में आपत्तिजनक बयान देने का आरोप था। सांसदों ने अपनी याचिका में कहा था कि पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ एक केस की सुनवाई करते हुए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर जो बयान दिया था वह आपत्तिजनक था।

वी रामास्वामीः

महाभियोग का पहला ऐसा मामला जस्टिस रामास्वामी का है। 1993 में उनके खिलाफ लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन कांग्रेस के बहिष्कार के कारण यह प्रस्ताव गिर गया था। सदन में यह प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत जुटाने में नाकाम रही थी। रामास्वामी पर आरोप था कि 1990 में पंजाब और हरियाणा के जज रहने के दौरान उन्होंने अपने आधिकारिक निवास पर काफी फालतू खर्च किया था। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी इनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पास किया था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad