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बंगाल: भाजपा में सिर फुटौव्वल, कई नेताओं में असंतोष, इन पर गिर सकती है गाज

विधानसभा चुनाव में भाजपा के हताशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी में विरोध की सुगबुगाहट तेज हो गई है।...
बंगाल: भाजपा में सिर फुटौव्वल, कई नेताओं में असंतोष, इन पर गिर सकती है गाज

विधानसभा चुनाव में भाजपा के हताशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी में विरोध की सुगबुगाहट तेज हो गई है। पार्टी कैलाश विजयवर्गीय को पर्यवेक्षक पद से हटाकर भूपेंद्र यादव को यह जिम्मेदारी दे सकती है। इस बीच, प्रदेश भारतीय युवा मोर्चा के अध्यक्ष सौमित्र खां ने ममता बनर्जी को हराने वाले और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
विधानसभा चुनाव में विधायकों की संख्या 3 से बढ़कर 77 होने के बावजूद भाजपा 200 सीटों के लक्ष्य से काफी दूर रह गई। यही नहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले नतीजे पार्टी के लिए बेहद खराब रहे हैं। इसलिए पार्टी पर्यवेक्षक को बदलने की सुगबुगाहट है। खबरों के मुताबिक कैलाश विजयवर्गीय को इस जिम्मेदारी से जल्दी ही मुक्त किया जा सकता है। उनकी जगह राजस्थान के नेता भूपेंद्र यादव को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। भूपेंद्र यादव गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। विपक्ष का नेता चुने जाते समय वे पर्यवेक्षक के तौर पर प्रदेश आए थे।
भाजपा ने ने कई वर्षों से कैलाश विजयवर्गीय को पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी दे रखी है। लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतने के बाद पार्टी को विधानसभा चुनाव में भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी। इसलिए पार्टी ने 200 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया था। इसी को ध्यान में रखते हुए तृणमूल और दूसरे दलों से नेताओं को चुनाव से पहले तोड़ा गया। स्वयं कैलाश विजयवर्गीय भी इस रणनीति के पक्ष में थे। लेकिन वह रणनीति काम नहीं आई।
इसे लेकर पार्टी के भीतर रोष है। यहां तक कि संघ ने भी चुनाव से पहले दूसरे दलों के नेताओं को तोड़ने की रणनीति की आलोचना की है। विजयवर्गीय के अलावा पर्यवेक्षक अरविंद मेनन की भी आलोचना हो रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता तथागत राय ने भी विजयवर्गीय, प्रदेश पार्टी अध्यक्ष दिलीप घोष, शिव प्रकाश और अरविंद मेनन पर आरोप लगाए हैं।
इस बीच, पश्चिम बंगाल भारतीय युवा मोर्चा के अध्यक्ष सौमित्र खां ने शुभेंदु अधिकारी को विपक्ष का नेता चुने जाने का विरोध करते हुए पार्टी पद से इस्तीफा देने की बात कही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार उनका मानना है कि शुभेंदु अधिकारी के कारण ही पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा को ऐसी हार का सामना करना पड़ा। विधानसभा में शुभेंदु अधिकारी को पार्टी का चेहरा घोषित करना नुकसानदायक होगा। शुभेंदु अधिकारी 10 मई को विपक्ष का नेता चुने गए थे। सूत्रों के अनुसार, उसके अगले दिन ही सौमित्र खां ने इस्तीफे की पेशकश की थी।
उनका यह भी कहना है कि शुभेंदु के कारण ही जंगलमहल (पश्चिम मिदनापुर, झारग्राम, पुरुलिया और बांकुड़ा जिला) में पार्टी का प्रदर्शन फीका रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव में जंगलमहल से भाजपा को काफी वोट मिले थे। मोर्चा के नेताओं का मानना है कि लोकसभा चुनाव में माकपा के जो वोट भाजपा को मिले थे, वे इस बार तृणमूल के पक्ष में चले गए। 2019 में जंगलमहल के लोगों ने तृणमूल के खिलाफ नहीं, बल्कि शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ मतदान किया था। वहीं उन्होंने 2021 में भी किया।
गौरतलब है कि सौमित्र खां प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के खिलाफ भी बोल चुके हैं। वे भी पहले तृणमूल कांग्रेस में ही थे। 2019 में वे भाजपा में आए। हालांकि उनकी पत्नी सुजाता मंडल खां दिसंबर 2020 में तृणमूल में शामिल हो गई थीं। विधानसभा चुनाव में उन्होंने आरामबाग सीट से चुनाव भी लड़ा, हालांकि वे भाजपा प्रत्याशी मधुसूदन से करीब 7,200 वोटों से हार गईं। सुजाता के तृणमूल में जाने के बाद सौमित्र खां ने कहा था कि वे उन्हें तलाक देंगे।
मोर्चा के एक और नेता राजू सरकार ने युवा मोर्चा के व्हाट्सएप ग्रुप में लिखा था कि चोर उचक्कों को केंद्रीय सुरक्षा मिल गई है, जबकि पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं पर हमले हो रहे हैं। सरकार ने मोर्चा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा भी दे दिया था।

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