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केरोसिन सब्सिडी को सही लक्ष्य तक पहुंचाना अगला एजेंडा : जेटली

खाद्यान्न और उर्वरक की सब्सिडी को सीधे लक्ष्य तक पहुंचाने के शुरुआती प्रयोग के बाद सरकार का इरादा अब केरोसिन का दुरुपयोग और इसकी कालाबाजारी रोकने का है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज यह बात कही।
केरोसिन सब्सिडी को सही लक्ष्य तक पहुंचाना अगला एजेंडा : जेटली

आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में आज उन्होंने कहा, देश के कुछ हिस्सों में केरोसिन का उपयोग ईंधन के रूप में होता है, जबकि कई हिस्सों में इसका दुरुपयोग होता है। भारी मात्रा में केरोसिन इधर से उधर किया जाता है ... इसलिये राज्य इसे नियंत्रण मुक्त करना चाहते हैं, क्योंकि इसमें काफी दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने इस संबंध में चंढीगड़ और हरियाणा का जिक्र किया जो कि केरोसिन को नियंत्रण मुक्त करने का प्रयास कर रहे हैं। जेटली ने कहा, जहां तक वस्तुओं की आपूर्ति को तर्कसंगत बनाने की बात है, हमारे एजेंडा में यह एक अगली वस्तु है। हालांकि, अभी भी समाज का एक वर्ग है जो कि केरोसिन को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करता है। आपको केरोसिन के मामले में समस्या से निपटने के लिये एक प्रणाली ढूंढनी होगी। राशन की दुकानों से बिकने वाले सब्सिडी प्राप्त केरोसिन को उसके वाजिब लाभार्थियों तक पहुंचाने के लिये वर्ष 2016-17 के दौरान देश के 39 जिलों में केरोसिन में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना को शुरू किया जाये। ये जिले देशभर के नौ राज्यों में होंगे। इनका चयन राज्यों की सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद किया गया है। ये राज्य हैं पंजाब, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़।

उन्होंने कहा कि सरकार विभिन्न सरकारी योजनाओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के तहत ला रही है और इसके अनुभव को देख रही है। जेटली ने कहा, कहीं उर्वरक के मामले में सब्सिडी को सीधे लाभार्थी के हाथ में पहुंचाया जा रहा है तो कहीं खाद्यान्न में यह प्रयोग हो रहा है। इसका सबसे बड़ा जो लाभ होगा वह इसके दुरुपयोग को रोकना है। भ्रष्टाचार दूर होगा और दोहराव रुकेगा तथा सब्सिडी सही हाथों में पहुंचेगी।

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना को अमल में लाने से सरकार को सब्सिडी को प्रभावी तरीके से सही लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। साथ ही इस प्रक्रिया में धन की भी बचत होगी। बचे धन का सामाजिक विकास के दूसरे कार्यों में उपयोग किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा, इस समूची प्रक्रिया के पीछे यही सोच है कि समाज के कमजोर वर्गों तक लाभ पहुंचाने की मौजूदा प्रक्रिया में जो दुरुपयोग और क्षरण होता है उसे रोका जाये। क्योंकि इसके चलते लाभ का छोटा हिस्सा ही लक्ष्य तक पहुंच पाता है।

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