भैयाजी जोशी ने कहा, सभी के सहयोग और मार्गदर्शन से इस मार्ग का नामकरण हुआ है। आने-जाने वाले लोग इस नाम को देखकर प्रेरणा प्राप्त करेंगे और पूछेंगे कि यह मार्ग किसके नाम पर बना है। संभव है जनता के बीच विश्वमित्र का नाम प्रसिद्ध न हो लेकिन संघ जीवन में, सामाजिक जीवन में उनका स्थान सब जानते हैं। वह राजनीतिक नेता नहीं थे, बहुत अच्छे वक्ता भी नहीं थे जिनसे लोगों के बीच पहचान स्थापित होती है लेकिन सैकड़ों लोगों के मन में जिनका स्थान है वह हैं विश्वमित्र।
भैय्या जी ने कहा उनका सामान्य परिचय यही होगा कि वह संघ के स्वयंसेवक थे।
इस अवसर पर विश्वामित्र की धर्मपत्नी, पुत्र सुनील बहल, प्रेमजी गोयल, मीनाक्षी लेखी, कुलभूषण आहूजा, भारत, पूर्णिमा विद्यार्थी और बड़ी संख्या में लघु उद्योग भारती के कार्यकर्ता, स्थानीय निवासी उपस्थित थे।