ई-सिगरेट और इससे मिलते-जुलते उत्पादों के आयात, उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने के लिए एक विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। प्रोहिबिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट्स (प्रोडक्शन, मैन्यूफैक्चर, इंपोर्ट, एक्सपोर्ट, ट्रांसपोर्ट, सेल, डिस्ट्रीब्यूशन, स्टोरेज एंड एडवर्टाइजमेंट) बिल 2019 18 सितंबर को जारी किए गए अध्यादेश का स्थान लेगा।
तीन साल तक का सजा अथवा पांच लाख रुपये जुर्माना
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने विधेयक पेश किया। इस विधेयक में स्मोकिंग के वैकल्पिक उपकरणों के उत्पादन, निर्यात, आयात, वितरण, परिवहन, बिक्री, भंडारण और इनके प्रचार को प्रबंधित किया गया है और उल्लंघन होने पर संज्ञेय अपराध बनाया गया है। अध्यादेश के अनुसार कानून का पहली बार उल्लंघन किए जाने पर एक साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। बार-बार अपराध करने पर तीन साल तक की सजा या पांच लाख रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। ई-सिगरेट का भंडारण करने का दोषी पाए जाने पर छह महीने की सजा या 50 हजार रुपये तक जुर्माने अथवा दोनों का प्रावधान है। अध्यादेश जारी करते समय प्रतिबंध लगाने की वजह जन स्वास्थ्य खासकर युवाओं की इसकी आदत पड़ना बताया था।
अधिकारियों को तलाशी का अधिकार
लोकसभा में पेश किए गए विधेयक में अधिकारियों को तलाशी करने के लिए अधिकृत किया गया है। अधिकारी प्रॉपर्टी और ई-सिगरेट का स्टॉक जब्त कर सकेंगे। निर्माता, निर्यातक, आयातक, ट्रांसपोर्टर और स्टॉकिस्ट का रिकॉर्ड भी जब्त कर पाएंगे।
बकाया स्टॉक तुरंत जमा कराने की सलाह
विधेयक के अनुसार जिन लोगों के पास ई-सिगरेट का स्टॉक बचा है, वे अपनी ओर से उसकी सूची बनाकर बिना देरी किए अधिकृत अधिकारी को स्टॉक सौंप दें। हालांकि ई-सिगरेट से जुड़े व्यापार संगठन, उपभोक्ता और अन्य पक्ष सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि सिगरेट इंडस्ट्रीज को बचाने के लिए रोक लगाई गई है।