मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर वेंकैया नायडू और राजनाथ सिंह ने आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ उनके आवास पर बैठक की। हालांकि, यह बैठक मुश्किल से 30 मिनट भी नहीं चल सकी। इस बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, भाजपा नेताओं ने कोई नाम ही सामने नहीं रखा, बल्कि हमसे ही पूछते रहें।
BJP leaders did not mention any name, instead tried asking us the same: Ghulam Nabi Azad,Congress on Sonia Gandhi meet #PresidentialPoll pic.twitter.com/YNmjTkNVy7
— ANI (@ANI_news) 16 June 2017
इसके साथ ही राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भाजपा नेता सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी से भी मिलेंगे। येचुरी ने मीडिया से बातचीत के दौरान राष्ट्रपति पद की उम्मदवारी के लिए लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के नाम पर रजामंदी से इनकार कर किया दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे पता है भाजपा नेता आ रहे हैं और उनका स्वागत है, लेकिन अब इसमें देर हो गई, आखिर उन्हें आम सहमति चाहिए थी, तो फिर इतना इंतजार क्यों किया? हम किसी ऐसे को राष्ट्रपति बनाना चाहते हैं, जिसकी धर्मनिरपेक्ष छवि सवालों में न हो। और फिर आडवाणी, जोशी की छवि पर हमने ही नहीं बल्कि कोर्ट ने सवाल कर रखे हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र की मोदी सरकार राष्ट्रपति चुनाव के लिए आम सहमति के पक्ष में है और इसके लिए उसने दाव चलने की कोशिश की है। इससे पहले कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि वह आम सहमति वाले राष्ट्रपति उम्मीदवार को प्राथमिकता देगी और बेहतर होगा कि सरकार भी इसे समझ ले। सोनिया गांधी इस बैठक में अपना जवाब देने के बजाय पहले बाकी 17 दलों से मुलाकात करेंगी और फिर फैसला सुना सकती हैं। सोनिया गांधी का मानना है कि बाकी विपक्षी दलों के बीच विचार-विमर्श के बाद ही राष्ट्रपति चुनाव पर ही सामूहिक फैसला लिया जाना ठीक है।
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने गुरुवार को कहा था कि कांग्रेस पार्टी ने प्रत्येक महत्वपूर्ण निर्णय पर आम सहमति कायम करने का प्रयास किया है। किंतु राष्ट्रपति चुनाव को लेकर तस्वीर अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि सरकार इस मुद्दे पर सर्वसम्मति की आवश्यकता को समझे। बेहतर हो कि आम सहमति बने।