लोकसभा से पारित होने के बाद इस बिल को आज राज्यसभा में भी पास हो गया। बिल के पक्ष में 131 वोट डाले गए तो इसके विरोध में विपक्षी सासंदों की ओर से सिर्फ 102 वोट पड़े। सदन में आप, कांग्रेस के अलावा विपक्षी गठबंधन इंडिया के सभी घटक दलों ने बिल का जोरदार विरोध किया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में ये बिल पेश किया, जिसका बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी समर्थन किया। राज्यसभा में विपक्ष के सभी संशोधन प्रस्ताव गिर गए।
राज्यसभा में वोटिंग कराने के लिए पहले मशीन से वोटिंग का प्रावधान समझाया गया लेकिन थोड़ी देर बाद उपसभापति ने घोषणा की कि मशीन में कुछ खराबी है इसलिए वोटिंग पर्ची के जरिए कराई जाएगी। इससे पहले गुरुवार को लोकसभा में विपक्षी दलों के बायकॉट के बीच ध्वनिमत से यह बिल पारित हो गया था।
बिल पर चर्चा के दौरान अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच तीखी नोंकझोंक हुई। बिल का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि इसका उद्देश्य दिल्ली में भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन सुनिश्चित करना है। बिल के एक भी प्रावधान से, पहले जो व्यवस्था थी, उस व्यवस्था में जहां भी बदलाव नहीं हो रहा है। ये विधेयक सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं करता है। बिल हम शक्ति को केंद्र में लाने के लिए नहीं बल्कि केंद्र को दी हुई शक्ति पर दिल्ली यूटी की सरकार अतिक्रमण करती है, इसको वैधानिक रूप से रोकने के लिए यह बिल लेकर लाए हैं। कई सदस्यों की ओर से बताया गया कि केंद्र को शक्ति हाथ में लेनी है. हमें शक्ति लेने की जरूरत नहीं क्योंकि 130 करोड़ की जनता ने हमें शक्ति दी हुई है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कई बार केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तो दिल्ली में बीजेपी की सरकार थी, कई बार केंद्र में बीजेपी की सरकार थी तो दिल्ली में कांग्रेस की, उस समय ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर कभी झगड़ा नहीं हुआ। उस समय इसी व्यवस्था से निर्णय होते थे। अमित शाह ने कहा कि यह बिल किसी पीएम को बचाने के लिए नहीं है। उन्होंने हंगामे के बीच कहा कि कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का हक नहीं है। आप की गोद में बैठी कांग्रेस यह बिल पहले लेकर आई थी।