सरकोली। तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने मंगलवार को कहा कि बीआरएस देश को बदलने का मिशन है। यह सिर्फ तेलंगाना की पार्टी नहीं है, देश भर की पार्टी है। देश में किसान और कामगार मिलकर साठ प्रतिशत हैं। ये एकजुट हो जाएं तो कुछ भी संभव है। बीआरएस किसी की टीम नहीं है। बीआरएस किसानों, पिछड़ों, दलितों अल्पसंख्यकों की टीम है। देश में सत्तर करोड़ किसान हैं। फिर हमें किसी की टीम बनने की जरूरत नहीं है। भारत का परिवर्तन ही भारत की समस्याओं का समाधान है।
सरकोली में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वोट में बहुत ताकत है। अगर हमारे वोट बंटे नहीं तो सभी काम बन जाएंगे। पूरे देश में बीआरएस इकलौती पार्टी है जिसने नारा दिया है- अबकी बार किसान सरकार। महाराष्ट्र बहुत बड़ा राज्य है, स्थिर राज्य है, धनवान राज्य है। यहां विकास योजनाएं लागू हो सकती है। कई लोग भ्रम फैला रहे हैं कि तेलंगाना जैसी नीति लागू होने से राज्य का दिवाला निकलेगा। ऐसा कुछ नहीं होगा। यहां नेताओं का दिवाला निकल सकता है लेकिन किसानों की दीवाली हो जाएगी। महाराष्ट्र के कई राजनीतिक दल बीआरएस से असहज हो रहे हैं। बीआरएस के लिए इतना आक्रोश क्यों है? महाराष्ट्र में कांग्रेस का लंबा शासन रहा। यहां के लोगों ने भाजपा, एनसीपी और शिवसेना को भी मौका दिया। लेकिन आज भी यहां बिजली और पीने के पानी की समस्या है। पूरे भारत में 41 करोड़ एकड़ कृषि योग्य भूमि है। हर एकड़ भूमि को पर्याप्त पानी दिया जा सकता है। भरपूर पीने का पानी दिया जा सकता है। वर्तमान राष्ट्रीय जल नीति को बंगाल की खाड़ी में फेंकना होगा। देश में नई जल नीति बनानी होगी।
बिजली निजीकरण नीति पर साधा निशाना
केसीआर ने बिजली के निजीकरण नीति पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में डेढ सौ वर्ष तक बिजली आपूतिॅ के लिए पर्याप्त कोयला है। सोलर बिजली भी है। फिर विदेश से कोयला आयात करने की जरूरत क्या है? उन्होंने कहा कि देश को आजाद हुए पचहत्तर साल गुजर गए। दुनियां के कई देश जापान, कोरिया, सिंगापुर ने काफी विकास किया है। चीन गरीब था लेकिन अब भारत से काफी आगे निकल चुका है। आज हमारे देश का लक्ष्य क्या है, इसपर सोचने की जरूरत है। हर भारतीय को इसपर सोचना होगा। एक और आजादी का जंग लड़ना चाहिए।
तेलंगाना में विकास संभव तो महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में क्यों नहीं
बीआरएस प्रमुख ने कहा कि यदि कल्याण और विकास उपायों को तेलंगाना में लागू किया जाता है तो महाराष्ट्र में भी तेलंगाना जैसा विकास हो सकता है। कुछ भी असंभव नहीं है। केसीआर ने कहा कि तेलंगाना में कम समय में लोगों के लिए सर्वांगीण विकास हुआ है, जबकि महाराष्ट्र इसमें पीछे हैं। शासक प्रतिबद्ध हों तो विकास जड़ों तक पहुंचेगा। तेलंगाना जैसे राज्य में विकास का फल आम लोगों तकपहुंच रहा है। उन्होंने कहा, तेलंगाना नवीनतम जन्मा राज्य है, लेकिन इस राज्य के नियोजित दृष्टिकोण से तेजी से विकास संभव हुआ है। बीआरएस प्रमुख ने विशेष रूप से किसानों के उत्थान के लिए तेलंगाना सरकार द्वारा किए गए विभिन्न कल्याणकारी उपायों के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि रायथु बंधु और रायथु बीम किसानों के लिए लाभकारी साबित हुआ है।
महाराष्ट्र में खामियां दूर करने आए हैं
महाराष्ट्र के ग्रामीण हिस्सों में बीआरएस की यात्रा के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाने के लिए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री फड़नवीस पर तीखा हमला करते हुए केसीआर ने कहा कि अगर तेलंगाना की योजनाएं महाराष्ट्र सरकार लागू करती है तो वह मध्य प्रदेश का रूख कर लेंगे।“अगर कल्याण लोगों के पास है तो हम यहां नहीं आएंगे। महाराष्ट्र में पीने के पानी की कमी, बुनियादी सुविधाओं की कमी और कई खामियां हैं, इसलिए हम अपनी क्षमता साबित करने के लिए यहां आए हैं।'
भूमि रिकार्ड का डिजीटलीकरण जरूरी
केसीआर ने कहा कि तेलंगाना में विकलांगों को तीन हजार रूपए मासिक पेंशन दिया जाता है जिसे अब बढाकर चार हजार रूपए किया गया है। केन्द्र सरकार किसानों को छह हजार रूपए तीन किस्तों में देती है, तेलंगाना सरकार प्रत्येक किसान को दस हजार रूपए प्रति एकड़ देती है। तेलंगाना सरकार ने भूमि रिकार्ड का डिजीटलीकरण किया है। मैं किसान हूं, इसलिए किसान की समस्या समझ सकता हूं। केन्द्र सरकार ने डिजिटल इंडिया की घोषणा की है तो इसे महाराष्ट्र में लागू क्यों नहीं किया है? केन्द्र सरकार ने मेक इन इंडिया लागू किया तो हर जगह चीन के बने सामान क्यों बिक रहे हैं? भारत का परिवर्तन होने से भारत की समस्याओं का समाधान हो सकेगा।